अब सिर्फ पंतनगर में नहीं होगी रेड व आरेंज कैटेगरी के उद्योगों की स्थापना nainital news

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने ऊधमसिंह नगर जिले की बजाय अब केवल पंतनगर क्षेत्र में रेड व ऑरेंज कैटेगरी के उद्योगों की स्थापना तथा विस्तारीकरण को प्रतिबंधित किया है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Wed, 30 Oct 2019 11:29 AM (IST) Updated:Wed, 30 Oct 2019 11:29 AM (IST)
अब सिर्फ पंतनगर में नहीं होगी रेड व आरेंज कैटेगरी के उद्योगों की स्थापना nainital news
अब सिर्फ पंतनगर में नहीं होगी रेड व आरेंज कैटेगरी के उद्योगों की स्थापना nainital news

काशीपुर (ऊधमसिंह नगर) जेएनएन : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने ऊधमसिंह नगर जिले की बजाय अब केवल पंतनगर क्षेत्र में रेड व ऑरेंज कैटेगरी के उद्योगों की स्थापना तथा विस्तारीकरण को प्रतिबंधित किया है। जनपद के अन्य सभी क्षेत्र इस प्रतिबंध से मुक्त रहेंगे।

दस जुलाई को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने एक आदेश पारित कर जनपद ऊधमसिंह नगर को अति प्रदूषित मानते हुए यहां रेड व आरेंज कैटेगरी के उद्योगों की स्थापना तथा विस्तारीकरण को प्रतिबंधित कर दिया था। इस संबंध में कुमाऊं-गढ़वाल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (केजीसीसीआइ) ने राज्य सरकार व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के समक्ष अपना पक्ष रखा था। कहा गया था कि किसी स्थान विशेष को ही प्रदूषित या अति प्रदूषित माना जा सकता है न कि पूरे जनपद को। किसी विशेष औद्योगिक स्थान में प्रदूषण की मात्रा अधिक हो सकती है उस पर पूरे जनपद में रेड व आरेंज कैटेगरी के उद्योगों की स्थापना व उनके विस्तारीकरण को प्रतिबंधित करने से ऊधमसिंह नगर में औद्योगिक विकास की गति धीमी हो जाएगी। इससे जहां एक ओर राज्य में बेरोजगारी बढ़ेगी, वहीं सरकार को भी राजस्व की भारी हानि होगी। जबकि वर्तमान में राज्य की जीडीपी में उद्योग का 50 प्रतिशत योगदान है।

केजीसीसीआइ के अनुरोध पर राज्य सरकार व पीसीबी ने एनजीटी के समक्ष अपना पक्ष रखकर समस्या बताई। उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव एसपी सुबुद्धि ने 26 अक्टूबर को एक पत्र भेज कर स्पष्ट कर दिया कि एनजीटी के निर्देशानुसार एकीकृत औद्योगिक आस्थान पंतनगर को छोड़कर जनपद ऊधम सिंह नगर के शेष क्षेत्रों में लाल व नारंगी श्रेणी के उद्योगों की स्थापना व विस्तारीकरण पर कोई प्रतिबंध नहीं है।

केजीसीसीआइ के अध्यक्ष अशोक बंसल ने बताया कि एनजीटी ने 23 अगस्त 2019 को जारी आदेश में स्पष्ट रूप से पुन: एक आदेश जारी किया। जिसके तहत ऐसी इकाइयों की स्थापना पर कोई प्रतिबंध नहीं है जो व्यावहारिक हैं तथा जिनसे किसी प्रकार के प्रदूषण की कोई संभावना नहीं है। एनजीटी का आदेश किसी भी वैध औद्योगिक गतिविधि को प्रतिबंधित करने की आशंका को खारिज करता है। बंसल ने बताया कि इस संदर्भ में मुख्य सचिव उत्पल कुमार ङ्क्षसह की अध्यक्षता में 17 अक्टूबर को देहरादून में एक बैठक की गई थी तथा केजीसीसीआइ ने अपनी समस्या उनके सामने रखी थी। इसे संज्ञान में लेकर मुख्य सचिव ने सार्थक कार्यवाही की। 

सरकार व मंत्रालय ने तैयार किया तंत्र

सरकार व वन और पर्यावरण मंत्रालय ने संयुक्त रूप से एक तंत्र तैयार किया है। साथ ही केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को क्रियान्वयन के लिए राज्य सरकारों व राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के साथ साझा करने के लिए निर्देशित किया है। एनजीटी के निर्देशानुसार मंत्रालय व सरकार के अधीन गठित कमेटी की तरफ से प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए तैयार कार्ययोजना के अनुसार अति प्रदूषित क्षेत्रों में भी वैधानिक नियमों का अनुपालन करते हुए उद्योगों की स्थापना तथा विस्तारीकरण किया जा सकता है। यह कमेटियां केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा वायु, जल व भूमिगत प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए जारी नियमों के अनुसार राज्यों के मुख्य सचिवों के निर्देशन में काम करेंगी।

लाल, नारंगी, हरे व सफेद कैटगरी के होते हैं उद्योग

लाल कैटेगरी में उच्चस्तरीय औद्योगिक प्रदूषण की इकाईयां आती हैं। जबकि नारंगी कैटेगरी में मध्यम स्तरीय औद्योगिक प्रदूषण की इकाइयां आती हैं। वहीं हरे कैटगरी में निम्नस्तरीय आद्यौगिक इकाइयां आती हैं तथा सफेद कैटेगरी की औद्योगिक इकाइयों से कोई प्रदूषण नहीं होता है। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय तथा भारत सरकार समय-समय पर प्रदूषण के मानक के लिए गाइड लाइन जारी करती रहती है।

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