चुनावी घबराहट में बगैर सोचे कमिश्नरी की घोषणा, कांग्रेस प्रवक्ता दीपक बल्यूटिया ने फैसले पर उठाए सवाल
बल्यूटिया ने कहा कि चुनावी घबराहट में बगैर किसी शोध व समीक्षा के सोचे-समझे सीएम ने यह फैसला लिया है। छोटे व पर्वतीय राज्य में ब्लाकवार विकास की बात करनी चाहिए थी। कमिश्नरी के अस्तित्व को लेकर बहस करना बेफिजूल है।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता दीपक बल्यूटिया ने गैरसैंण को कुमाऊं व गढ़वाल के चार जिलों की कमिश्नरी बनाने के सरकार के फैसले पर सवाल उठाए हैं। बल्यूटिया ने कहा कि चुनावी घबराहट में बगैर किसी शोध व समीक्षा के सोचे-समझे सीएम ने यह फैसला लिया है। छोटे व पर्वतीय राज्य में ब्लाकवार विकास की बात करनी चाहिए थी। कमिश्नरी के अस्तित्व को लेकर बहस करना बेफिजूल है।
बल्यूटिया ने कहा कि गैरसैंण राज्य आंदोलनकारियों से लेकर प्रदेश की जनता की भावनाओं से जुड़ा हुआ है। एक साल पहले अस्थायी राजधानी बनाते वक्त यहां विकास की बड़ी-बड़ी बातें की गई थीं, मगर धरातल पर कुछ नहीं किया गया। अब कमिश्नरी बनाकर चुनाव से पहले भावनात्मक मुद्दा खड़ा करने का प्रयास किया गया है। पहले से मौजूद कमिश्नरी मुख्यालय में अफसर बैठ नहीं रहे। ऐसे में नई कमिश्नरी बनाकर राज्य पर आर्थिक बोझ और बढ़ेगा, जबकि हकीकत यह है कि सरकार के पास कर्मचारियों को सैलरी देने और विधवा, बुजुर्ग व दिव्यांगजनों को पेंशन देने के लिए पैसे नहीं है। चार साल तक कुछ न करने वाले सीएम ने चुनावी परीक्षा से ठीक पहले घोषणाओं पर फोकस करना शुरू कर दिया, मगर जनता किसी बहकावे में नहीं आने वाली। क्योंकि, वो जानती है कि कुछ माह बाद आचार संहिता लग जाएगी।
यानी कोई भी वादा पूरा नहीं होगा। सत्र के पहले दिन सड़क की मांग को लेकर विधानसभा जा रहे पहाड़ के निहत्थे लोगों को पुलिस की लाठियों से पिटवाने वाली सरकार की अब उल्टी गिनती शुरू हो गई है। बल्यूटिया ने कहा कि विकास, पलायन, बेरोजगारी, महंगाई, स्वस्थ्य-शिक्षा जैसे मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए सीएम ने कमिश्नरी का शिगूफा छोड़ दिया।
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