सोशल मीडिया से चली मुहिम, सेहत संग हरियाली बांट रहे गुरुजी

शिक्षा के साथ सेहत और हरियाली के प्रति समर्पित गुरुजी लोगों के लिए मिसाल बन गए हैं। वह छह माह से औषधीय गुणों से भरपूर गिलोय के पौधे को लोगों के बीच बांटने की मुहिम चला रहे हैं।

By BhanuEdited By: Publish:Sat, 24 Jun 2017 12:59 PM (IST) Updated:Sat, 24 Jun 2017 04:16 PM (IST)
सोशल मीडिया से चली मुहिम, सेहत संग हरियाली बांट रहे गुरुजी
सोशल मीडिया से चली मुहिम, सेहत संग हरियाली बांट रहे गुरुजी

हल्द्वानी, [अनूप गुप्ता]: शिक्षा के साथ सेहत और हरियाली के प्रति समर्पित गुरुजी लोगों के लिए मिसाल बन गए हैं। आज न तो गुरुजी शहर के लिए अपरिचित रहे और न उनका सामाजिक दायित्वबोध ही कोई नया है। कभी जरूरतमंदों के लिए कपड़ा बैंक की मुहिम से चर्चा में आए गुरुजी ने अब हरियाली का बीड़ा उठाया है। वह बीते छह माह से औषधीय गुणों से भरपूर गिलोय के पौधे को लोगों के बीच बांटने की मुहिम चला रहे हैं। 

उनका कहना है कि प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले इस पौधे की बेल काफी फैलती है, जिससे हरियाली लाने में भी मदद मिल रही है। पर्यावरण के क्षेत्र में डॉ. मिश्रा का यह योगदान दूसरों के लिए भी प्रेरणा बना हुआ है। कुसुमखेड़ा के हिम्मतपुर तल्ला निवासी डॉ. संतोष मिश्रा को लोग गुरुजी के नाम से पुकारते हैं। 

वह एमबीपीजी कॉलेज हल्द्वानी के हिंदी विभाग में बतौर एसोसिएट प्रोफेसर कार्यरत हैं। सामाजिक सरोकारों में खास दिलचस्पी रखने वाले डॉ. मिश्रा ने मीडिया रिपोर्ट और सोशल मीडिया के माध्यम से गिलोय के पौधे की खूबियों के बारे में जाना। उनका कहना है कि गिलोय की पत्ती और तना चबाने से डेंगू पीड़ित की सेहत सुधारने में काफी मदद मिलती है।

इसके अलावा यह पौधा कई अन्य बीमारियों में भी फायदेमंद है। कहते हैं आमतौर पर लोग घरों की सजावट के लिए उन तमाम प्लांट्स का प्रयोग करते हैं, जिनका कोई औषधीय फायदा नहीं है। जबकि गिलोय की बेल से घर की सुंदरता भी बढ़ती है और रोग भगाने का उपाय भी मिल जाता है।

डॉ. मिश्रा के अनुसार इन्हीं खूबियों की वजह से उन्होंने पिछले साल दिसंबर में 'गमले में गिलोय, सेहत संग हरियाली' अभियान चलाया। इसके तहत वह लोगों को गिलोय के बारे में जानकारी देने के साथ उन्हें निश्शुल्क इस पौधे का वितरण भी कर रहे हैं। अब तक वह करीब 250 लोगों को गिलोय के पौधे बांट चुके हैं। 

बताया कि इससे पहले वह पपीता और नीम के पौधे भी बांट चुके हैं, लेकिन गिलोय लगाने की कवायद को वह ऊंचाइयों तक पहुंचाना चाहते हैं। डॉ. मिश्रा के घर जो भी मेहमान आता है, उसे भी वह गिलोय की जानकारी देने के साथ उसका पौधा देना भी नहीं भूलते। बताते हैं, गिलोय की पौध तैयार करने के लिए उन्होंने घर के गार्डन में इसके छह-छह इंच के तने रोपे हुए हैं। 

सोशल मीडिया से मुहिम को गति

गिलोय के बारे में जानकारी और उसे लगाने के लिए लोगों को प्रेरित करने को डॉ. मिश्रा ने सोशल मीडिया को भी माध्यम बनाया है। अपने हजारों फ्रेंड्स के बीच फेसबुक और वाट्सएप के माध्यम से वह गिलोय का लगातार प्रचार-प्रचार कर रहे हैं। बताते हैं, एमबीपीजी कॉलेज की एनएसएस इकाईं के जरिये भी लोगों को जागरूक करने का काम किया जा रहा है।

यह भी पढ़ें: इस गांव में जंगली फल के चटपटेपन ने रोका पलायन

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में पलायन रोकने को पुलिस महकमे में ये पहल

यह भी पढ़ें: अखरोट लगाकर निर्मल ने की ग्रामीणों के पलायन पर चोट

chat bot
आपका साथी