पुस्तक व प्राध्यापकों के लिए बारिश में भी धरने पर बैठे छात्र, स्थिति संभालने में जुटे उच्‍च शिक्षा राज्यमंत्री

कुमाऊं के दूसरे सबसे बड़े महाविद्यालय पिथौरागढ़ में पुस्तकों और प्राध्यापकों की कमी दूर करने की मांग को लेकर 20 दिन से चल रहा छात्रों का आंदोलन मंगलवार को बारिश में भी जारी रहा।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Wed, 10 Jul 2019 01:01 PM (IST) Updated:Wed, 10 Jul 2019 01:01 PM (IST)
पुस्तक व प्राध्यापकों के लिए बारिश में भी धरने पर बैठे छात्र, स्थिति संभालने में जुटे उच्‍च शिक्षा राज्यमंत्री
पुस्तक व प्राध्यापकों के लिए बारिश में भी धरने पर बैठे छात्र, स्थिति संभालने में जुटे उच्‍च शिक्षा राज्यमंत्री

पिथौरागढ़, जेएनएन : कुमाऊं के दूसरे सबसे बड़े महाविद्यालय पिथौरागढ़ में पुस्तकों और प्राध्यापकों की कमी दूर करने की मांग को लेकर 20 दिन से चल रहा छात्रों का आंदोलन मंगलवार को बारिश में भी जारी रहा। वहीं सिने अभिनेता और पिथौरागढ़ निवासी हेमंत पांडेय भी समर्थन में आ गए। उन्होंने पहाड़ की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए सीएम व वीसी से दखल की मांग उठाई। वहीं दूसरी ओर उ'च शिक्षा राज्यमंत्री स्थिति को संभालने में जुट गए हैं। उन्होंने कहा कि जल्द ही शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी। साथ ही कहा कि प्राचार्य भी अस्थाई नियुक्ति भी कर सकते हैं।

महाविद्यालय परिसर में मंगलवार को छात्रसंघ अध्यक्ष राकेश जोशी के नेतृत्व में आंदोलन जारी रहा। राकेश ने कहा कि 20 दिन बीत जाने के बाद भी छात्रों की जायज मांगों पर कोई कार्रवाई शासन व विवि प्रशासन की ओर से न होना उपेक्षा दर्शाता है। जब तक कॉलेज में प्राध्यापक एवं लाइब्रेरी में किताबें नहीं आ जाती छात्र पीछे नहीं हटेंगे। पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष मुकेश पंत ने कहा कि छात्रों को चार दशक पुरानी किताबें पढऩे के लिए दी जा रही हैं वे भी पर्याप्त संख्या में नहीं हैं। युवा उ'च शिक्षा के लिए पलायन कर रहे हैं तो कमजोर आर्थिक पृृष्ठभूमि के युवा सुविधा विहीन महाविद्यालय में ही पढ़ाई के लिए मजबूर हैं। आंदोलन में मोहित जोशी, किशोर, दीक्षा, मयंक, मुकेश, कौशल, अभय, दीपक, शुभम आदि डटे रहे।

शिक्षा नी होली त कस्य चल लो राजकाज : हेमंत पांडे

पिथौरागढ़ : राजकीय महाविद्यालय पिथौरागढ़ के छात्र रहे सिने अभिनेता हेमंत पांडेय ने सोशल मीडिया के जरिये आंदोलन को समर्थन दिया। उन्होंने कहा है कि 2019 में महाविद्यालय के छात्रों को बीती शताब्दी की किताबें पढ़ाना दुर्भाग्यपूर्ण है। महाविद्यालय में पढऩे वाले सीमांत जिले के अधिकांश युवा कमजोर आर्थिक पृष्ठभूमि से आते हैं, जिनके लिए महंगी किताबें खरीद पाना संभव नहीं है। विद्यार्थियों को नई और पर्याप्त किताबें उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी है। शिक्षा ही बेहतर नहीं होगी तो राजकाज भी सही नहीं चलेगा। सीएम और कुमाऊं विवि के कुलपति को मांगें पूरी करने के लिए अविलंब कदम उठाने चाहिए।

प्राचार्य कर सकते हैं अस्थायी नियुक्ति : उच्‍च शिक्षा राज्‍यमंत्री

देहरादून : सीमांत जिले पिथौरागढ़ के लक्ष्मण सिंह महर राजकीय महाविद्यालय में शिक्षकों और पुस्तकों की कमी मामले में उ'च शिक्षा राज्‍यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि शिक्षकों की कमी दूर करना सरकार की प्राथमिकता में है। हर कॉलेज के प्राचार्य को रिक्त पद पर प्रति पीरियड 500 रुपये मानदेय पर शिक्षकों की अस्थायी व्यवस्था पर नियुक्ति करने को पहले ही अधिकृत किया जा चुका है। डॉ. रावत ने कहा कि पिथौरागढ़ पीजी कॉलेज में शिक्षकों की कमी की जानकारी ली गई है। अन्य कॉलेजों की तुलना में इस कॉलेज की स्थिति इस मामले में अपेक्षाकृत अ'छी है। शिक्षकों के रिक्त पदों पर स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया गतिमान है। 877 रिक्त पदों पर भर्ती के लिए राÓय लोक सेवा आयोग को भेजे गए अधियाचन में से &72 नवनियुक्त शिक्षक कार्यभार भी ग्रहण कर चुके हैं। शेष पदों पर भर्ती प्रक्रिया चल रही है। जिस भी कॉलेज में शिक्षकों के पद रिक्त हैं, वहां पठन-पाठन बाधित न होने देने के लिए प्राचार्य को अस्थायी व्यवस्था पर शिक्षकों की नियुक्ति के लिए सरकार ने अधिकृत किया है। हर छात्र को पुस्तकालय से दो पुस्तकें देने की व्यवस्था है। पुस्तक दान अभियान के जरिये कॉलेजों में पुस्तकों की व्यवस्था की दिशा में प्रयास किए गए हैं। इसके अतिरिक्त कॉलेज से मांग मिलने पर किताबों की व्यवस्था कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि छात्रसंघ चुनाव के चलते छात्र नेताओं की ओर से उक्त मांगें उठाई जा रही हैं। वाजिब मांगों पर कार्यवाही होगी।

महाविद्यालय की यह है स्थिति

पिथौरागढ़ : सात हजार छात्र संख्या वाले महाविद्यालय में वर्तमान में प्राध्यापकों के 122 पद स्वीकृत हैं। इसमें से 65 स्थायी और 25 गेस्ट प्रवक्ता कार्यरत हैं। छह माह के लिए नियुक्त होने वाले गेस्ट प्रवक्ताओं में आधे कार्यकाल जुलाई में पूरा कर लेंगे। जबकि छात्र संख्या के लिहाज से यहां 225 से 250 प्रवक्ताओं के पद होने चाहिए। दूसरी ओर लाइब्रेरी में 1990 की किताबें हैं। अधिकांश फटी पुरानी स्थिति में हैं। उपलब्धता के हिसाब से करीब 1500 छात्रों को ही दो किताबें पढऩे को मिल पाती हैं। जबकि तीन साल पूर्व से सेमेस्टर सिस्टम भी लागू हो चुका है। डॉ. एससी पंत, प्रभारी निदेशक उच्‍च शिक्षा का कहना है कि पिथौरागढ़ कॉलेज के प्राचार्य से वार्ता की है। उनका कहना है कि अन्य कॉलेजों से तुलना करें तो उनके यहां अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति है। फिर भी अतिरिक्त बजट की व्यवस्था पुस्तक एवं संसाधनों के लिए की जाएगी। प्राध्यापकों की नियुक्ति के लिए शासन को लिखा जाएगा।

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