दो सप्ताह में मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल शुरू करें

जागरण संवाददाता, नैनीताल : हाई कोर्ट ने भवाली सेनिटोरियम को भारतीय चिकित्सा परिषद के

By JagranEdited By: Publish:Fri, 20 Jul 2018 06:32 PM (IST) Updated:Fri, 20 Jul 2018 06:56 PM (IST)
दो सप्ताह में मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल शुरू करें
दो सप्ताह में मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल शुरू करें

जागरण संवाददाता, नैनीताल : हाई कोर्ट ने भवाली सेनिटोरियम को भारतीय चिकित्सा परिषद के मानकों के अनुसार मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल बनाने के आदेश पारित किए हैं। साथ ही राज्य सरकार को सेनिटोरियम में भर्ती मरीजों के लिए समुचित बजट का इंतजाम करने के निर्देश दिए हैं। कहा कि वर्तमान सेनिटोरियम की बिल्डिंग की मरम्मत करते हुए दो सप्ताह में मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल शुरू करें। चिकित्सकों को साफ निर्देश दिए गए हैं कि वह 24 घंटे ड्यूटी पर उपलब्ध रहेंगे और ऐसा नहंी करने पर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। साथ ही केंद्र सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से पहाड़ी राज्यों की स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार के लिए विशेष केंद्रीय सहायता प्रदान करने के आदेश पारित किए हैं।

नैनीताल के युवा अधिवक्ता दीपक रुवाली ने नैनीताल के बीडी पाण्डे अस्पताल में चिकित्सकों की कमी तथा सुविधाओं के अकाल को लेकर जनहित याचिका दायर की थी। वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ ने जनहित याचिका में सुनवाई पूरी करते हुए 14 जून को फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे शुक्रवार को जारी कर दिया गया।

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शीत ऋतु से पहले लगाएं सेंट्रल हीटिंग सिस्टम

खंडपीठ ने अपने फैसले में बीडी पाण्डे महिला व पुरूष अस्पताल तथा रैमेज अस्पताल नैनीताल में चिकित्सक, पैरामेडिकल स्टाफ की नियुक्ति छह माह के भीतर करने तथा उपकरण समेत सुविधाएं मुहैया कराने के निर्देश सरकार को दिए हैं। कोर्ट ने हर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में छह माह में चिकित्सकों की तैनाती और हदय रोग विशेषज्ञ और महिला रोग विशेषज्ञ भी तैनात करने को कहा है। हर जिले में आपात सेवाओं के लिए ट्रामा सेंटर की स्थापना करने, सेंटर में सप्ताह के सातों दिन 24 घंटे ऑपरेशन रूम में डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती होनी चाहिए। दुराचार पीडि़तों के लिए अलग रूम होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि किसी भी दुर्घटना पीडि़त का उपचार बिना देरी किए तथा बिना प्रथम सूचना रिपोर्ट तत्काल किया जाए। केंद्र सरकार के स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय से निवेदन किया कि पहाड़ी राज्यों को विशेष सहायता प्रदान करे। जिससे उनकी स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार किया जाए।

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2009 में दायर की थी पीआइएल

युवा अधिवक्ता दीपक रुवाली ने 2009 में जिला मुख्यालय में चिकित्सा सेवाओं की बदहाली को लेकर जनहित याचिका दायर की थी। इसके बाद इस मामले में कोर्ट में हुई सुनवाई में सरकार की ओर से हलफनामा दिया गया। 119 बेड के अस्पताल में चिकित्सकों की तैनाती का आग्रह किया गया था। कहा कि 2001 की जनगणना के आधार पर 35 हजार की आबादी के शहर में चिकित्सा सेवाओं की कमी है।

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