VIDEO: चीन सीमा के करीब सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण पुल धंसा, सेना व सड़क निर्माण कार्य की बढ़ी मुसीबत

सामरिक दृष्‍टि से बेहद महत्‍वपूर्ण मुनस्‍यारी-मिलम मार्ग पर स्‍थित सैनर गाड़ के पास बना पुल सोमवार की सुबह नौ बजे ट्राला चालक की लापरवाही से ध्‍वस्‍त हो गया।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Mon, 22 Jun 2020 03:05 PM (IST) Updated:Mon, 22 Jun 2020 09:07 PM (IST)
VIDEO: चीन सीमा के करीब सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण पुल धंसा, सेना व सड़क निर्माण कार्य की बढ़ी मुसीबत
VIDEO: चीन सीमा के करीब सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण पुल धंसा, सेना व सड़क निर्माण कार्य की बढ़ी मुसीबत

पिथौरागढ़, जेएनएन : भारत-चीन के बीच उपजे तनाव के बाद सामरिक दृष्‍टि से बेहद महत्‍वपूर्ण मुनस्‍यारी-मिलम मार्ग पर स्‍थित सैनर गाड़ के पास बना पुल सोमवार की सुबह नौ बजे ट्राला चालक की लापरवाही से ध्‍वस्‍त हो गया। चालक पोकलैंड लदे ट्राला को पुल के ऊपर से ले जा रहा था। वहां तैनात बीआरओ सीमा सड़क संगठन के कर्मचारी ने चालक को ऐसा करने से रोका। उसने कहा कि यह पुल इतना अधिक भार नहीं सह पाएगा। लिहाजा इसके ऊपर से ट्राला और उसपर लदे पोकलैंड को लेकर न गुजरे। पर वह नहीं माना। ट्राला के पुल के बीच में पहुंचते ही पुल ध्‍वस्‍त हो गया। हादसे में ट्राले पर सवार दो लोग घायल हो गए। उन्हें निकालकर इलाज के जिए भेजा गया है। इसके साथ ही ट्राला और पोकलैंड को निकालने की कोशिश की जा रही है। पुल टूटने के कारण उच्च हिमालय के गांवों से माइग्रेशन करने वाले ग्रामीणों, आर्मी के जवानों का आवागमन तो प्रभावित हुआ ही वहीं मुनस्‍यारी-मिलम तक बन रहे सड़क का निर्माण कार्य भी प्रभावित होगा।

चीन सीमा तक एक और सड़क का निर्माण

तवाघाट-लिपुलेख मार्ग के बाद पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी तहसील से भी चीन सीमा तक सड़क निर्माण का काम तेजी से चल रहा है। मुनस्‍यारी से मिलम सड़क को वर्ष 2021 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। 80 किमी. लंबी बनने वाली इस सड़क में करीब 55 किमी तक चट्टानों को काटकर सड़क निर्माण का काम पूरा कर लिया गया है। शेष मध्य हिमालय में करीब 25 किमी चट्टानों को काटने के लिए बीआरओ ने एबीसीएल कंपनी को ठेका दिया है। कंपनी ने 2021 तक सड़क निर्माण पूरा करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए हेवी मशीनों को लगाकर चट्टानों को काटा जा रहा है। जहां मशीने नहीं पहुंच पा रही है वहां सेना के मालवाहक जहाजों से पहुंचाया जा रहा है। उच्च हिमालय में चट्टानों को काटने का कार्य पहले ही पूरा कर लिया गया है। हिमालय के निचले हिस्से में ही सड़क निर्माण का काम होना है। यहां की चट्टानें भी अपेक्षाकृत अधिक कठोर हैं।

चीन सीमा तक सड़क निर्माण और हिमालय से माइग्रेशन करने वालों की बढ़ी मुसीबत। हिमालय से जुड़ने वाला पुल पोकलेन मशीन ले जा रहे ट्राले के भार से टूटा। गहरी खाई में गिरा ट्राला व पोकलेन मशीन। वीडियो में देखें कैसे हुआ हादसा। @JagranNews pic.twitter.com/tvYmeCB9lU

— amit singh (@amitsingh121083) June 22, 2020

तेजी से हो रहा है सड़क निर्माण का काम

उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे तक सड़क बनाकर भारत ने अपनी स्थित मजबूत कर ली है। मुनस्यारी क्षेत्र में सड़क निर्माण हो जाने से स्थिति और मजबूत हो जाएगी। उच्च हिमालयी इलाके में 64 किलोमीटर की इस सड़क में मुनस्यारी से लिलम तक 18 किलोमीटर की सड़क कट चुकी है, जबकि मिलम से लास्पा तक 26 किलोमीटर की सड़क काटने का काम जारी है, लेकिन 22 किलोमीटर की हार्ड रॉक में अभी कोई काम नहीं हुआ है। बीआरओ ने इस सड़क को काटने का लक्ष्य 2021 तक तय किया है। सड़क बनने पर ही नदी, नालों पर पक्के पुल बनेंगे। ऐसे में लंबे समय तक चीन सीमा पर पहुंचना आसान नहीं होगा। बता दें कि घाटी में पैदल मार्ग और पुल ही लाइफ लाइन हैं। इधर, गर्मी बढ़ते ही ग्लेशियरों के पिघलने से गोरी नदी का जलस्तर बढ़ चुका है। इस कारण कई कच्चे पुल बह चुके हैं।

ग्रामीणों का उच्च हिमालय से माइग्रेशन प्रभावित

पुल टूटने के कारण उच्च से हिमालय से माइग्रेशन करने वाले ग्रामीणों का माइग्रेशन प्रभावित होगा। मुनस्यारी की उच्च हिमालयी जोहार घाटी के 14 गांवों के ग्रामीण माइग्रेशन करते हैं। इस वर्ष अभी तक माइग्रेशन प्रारंभ नहीं हो सका है। मुनस्यारी से मिलम तक 66 किमी पैदल मार्ग पर लीलम से कुछ किमी आगे से उच्च हिमालय प्रारंभ हो जाता है। इस वर्ष रिकार्ड हिमपात हुआ है आलम यह है कि अभी भी इस क्षेत्र में हिमपात हो रहा है। मौसम नहीं खुल पाने से 13 गांवों पांछू, गनघर, ल्वा, मिलम, मर्तोली, खैंलाच, टोला, बुर्फू, बुगडियार, रिलकोट, लास्पा, बिल्जू, मापा के ग्रामीण और रालम में पातू के ग्रामीण माइग्रेशन नहीं कर पाए हैं। ग्रामीण माइग्रेशन के लिए तैयार हैं, लेकिन मौसम साथ नहीं दे रहा था। वहीं अब पुल टूटने से ग्रामीणों को और मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा। इसके साथ ही जवानों को भी आवागमन में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।

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