हाथियों को बचाने के लिए मिलकर काम करेंगे रेलवे और वन विभाग के अधिकारी
रिजर्व फॉरेस्ट एरिया से गुजरने वाले रेल ट्रैक पर हाथियों की मौतें रोकने को लेकर वन विभाग और रेलवे अधिकारी साथ आए हैं।
हल्द्वानी, जेएनएन : रिजर्व फॉरेस्ट एरिया से गुजरने वाले रेल ट्रैक पर हाथियों की मौत के मामलों पर रोक लगाने के लिए वन विभाग व रेलवे के अफसरों ने सोमवार को एफटीआइ में फिर से मंथन किया। इस दौरान बताया गया कि पूर्व में हुए हादसों के बाद दो जगहों पर ट्रेन की स्पीड कम की जा चुकी है। तय किया गया कि हादसों के ग्राफ को खत्म करने के लिए दोनों विभाग जमीनी स्तर पर फिर से जुटेंगे। रेलवे ट्रैक की चपेट में आकर पांच हाथी अब तक जान गवां चुके हैं।
प्रमुख वन संरक्षक जयराज ने हल्द्वानी पहुंचकर खुद रेलवे के अफसरों संग बैठक कर तमाम सुझावों पर चर्चा की। सोमवार को तराई केंद्रीय वन प्रभाग व डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की ओर से एफटीआइ सभागार में कार्यशाला का आयोजन हुआ, जिसमें हाथी विशेषज्ञ एके सिंह ने रेलवे के लोको व असिस्टेंट लोको पायलट को बचाव की बारीकियां बताई। वन विभाग के मुताबिक लालकुआं-पंतनगर व लालकुआं-हल्दी ट्रैक पर ट्रेन की सीमा 30 किमी प्रति घंटा निर्धारित है। इसके बावजूद अन्य उपाय करने होंगे। इस दौरान एसडीओ यूसी तिवारी, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के सहायक समन्वयक मिराज अनवर, रेंजर सावित्री गिरी, रेलवे से धर्मेंद्र कुमार सिंह व सेक्शन इंजीनियर नीरज कुमार आदि मौजूद रहे।
अपनाए जाएंगे ये उपाय
ट्रैक किनारे उगी झाड़ियां साफ की जाएंगी, ताकि चालक को ट्रैक के आसपास दिख सके। रात में पायलट की दिक्कत बढ़ जाती है। क्योंकि इंजन लाइट की क्षमता तीन सौ मीटर होती है। कोहरे में यह और घट जाती है, लिहाजा पटरी किनारे वैकिल्पक रोशनी की व्यवस्था होगी। देखा जा रहा कि हाथी घूमते-घूमते जंगल के इलाके से आबादी की तरफ बढ़ रहे हैं। इसे रोकने के लिए फौरी उपाय के तौर पर खाई खोदी जाएगी। उसके बाद बाउंड्री समेत अन्य तरीकों पर बजट के हिसाब से काम होगा। पटरी से गुजरने पर किसी वन्यजीव को देखने पर नजदीकी कंट्रोल रूम को लोको पायलट सूचना देंगे, ताकि पीछे से आनी वाली ट्रेन वहां सावधानी बरतने के लिए अलर्ट हो जाए। पटरी किनारे बड़े साइन बोर्ड की व्यवस्था जल्द की जाएगी।
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