बेस अस्पताल में तीन महीने से खाली है फिजीशियन का पद, अन्‍य सुविधाएं भी बदहाल

बेस अस्पताल की बदहाली सुधरने का नाम नहीं ले रही है। मरीज आते हैं। आधी-अधूरी व्यवस्थाओं को कोसकर निराश लौट जाते हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Wed, 28 Nov 2018 02:54 PM (IST) Updated:Wed, 28 Nov 2018 07:47 PM (IST)
बेस अस्पताल में तीन महीने से खाली है फिजीशियन का पद, अन्‍य सुविधाएं भी बदहाल
बेस अस्पताल में तीन महीने से खाली है फिजीशियन का पद, अन्‍य सुविधाएं भी बदहाल

हल्द्वानी, जेएनएन : बेस अस्पताल की बदहाली सुधरने का नाम नहीं ले रही है। मरीज आते हैं। आधी-अधूरी व्यवस्थाओं को कोसकर निराश लौट जाते हैं। आलम यह है कि इस अस्पताल में तीन महीने एक फिजीशियन तक नहीं है। 28 नवंबर को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत शहर में आ रहे हैं, तो उनसे लोगों की यही उम्मीद है कि इस अस्पताल को एक फिजीशियन तो दिला दें।

दरअसल, स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर पहाड़ व मैदानी क्षेत्र की बड़ी आबादी बेस हॉस्पिटल पर निर्भर है। प्रतिदिन फिजीशियन की ओपीडी में 120 से 150 तक मरीज पहुंच जाया करते थे। जब से एकमात्र फिजीशियन डॉ. अमित रौतेला का स्थानांतरण कर दिया गया, उनके साथ पर किसी की नियुक्ति नहीं की गई। जबकि, इस अस्पताल में दूर-दराज स्वास्थ्य केंद्रों से मरीज रेफर होकर भी पहुंचते हैं। इसके बावजूद यहां पर फिजीशियन न होना बड़ी समस्या है। सबसे अधिक खामियाजा गरीब मरीजों को भुगतना पड़ता है। इसके अलावा सीटी स्कैन मशीन अक्सर खराब हो जाती है।

सुशीला तिवारी अस्पताल की कौन लेगा सुध

सुशीला तिवारी अस्पताल में भी डॉक्टरों की कमी है। यही वजह है कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से एमबीबीएस की पांच वर्ष की मान्यता नहीं मिल पा रही है। दूसरा बड़ा खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। यहां पर प्रतिदिन 1500 से 2000 मरीज ओपीडी में पहुंचते हैं। 500 से अधिक मरीज भर्ती रहते हैं। इसके बावजूद यहां पर रेडियोलॉजी विभाग में केवल एक डॉक्टर है। न्यूरोसर्जन नहीं है। ट्रामा सेंटर, बर्न यूनिट व 150 बेड का अस्पताल बनाने के प्रस्ताव ठंड बस्ते में हैं।

यह भी पढ़ें : अस्थाई दिव्यांगों को रोडवेज की बसों में निश्शुल्क यात्रा का पास नहीं होगा जारी

chat bot
आपका साथी