खालिस्तानी आतंकियों के बम ब्लास्ट में रुद्रपुर में 40 से अधिक लोगों की हो गई थी मौत
Usham singg Nagar Khalistani terrorism ऊधमसिंह नगर को मिनी पंजाब के नाम से जाना जाता है। पंजाब के बाद 90 के दशक में तराई आतंकी गतिविधियों का गढ़ था। खालिस्तान नेशनल आर्मी के नाम से आतंक फैला रहे लोग यहां जबरन घरों में पनाह लेते थे।
जागरण संवाददाता, रुद्रपुर : पंजाब के पठानकोट में हुए बम धमाकों के साजिशकर्ता सुखप्रीत उर्फ सुख को शरण देने के मामले में चार लोगों की गिरफ्तारी ने चार दशक पहले रुद्रपुर में हुए बम धमाकों की याद ताजा कर दी है। इस हमले में तब 40 से अधिक लोगों की मौत हुई थी अवौर हमले की जिम्मेदारी खालिस्तान नेशनल आर्मी ने ली थी।
ऊधम सिंह नगर को मिनी पंजाब के नाम से जाना जाता है। पंजाब के बाद 90 के दशक में तराई आतंकी गतिविधियों का गढ़ था। खालिस्तान नेशनल आर्मी के नाम से आतंक फैला रहे लोग यहां जबरन घरों में पनाह लेते थे। स्वर्णा, हीरा और घोड़ा जैसे आतंकियों का खौफ था। पुराने लोगों के मुताबिक घोड़ा के बारे में बताया जाता था कि यह आतंकी जितना तेज आगे भागता था, उससे तेज पीछे भी भागता था।
17 अक्टूबर, 1991 को रुद्रपुर भी आतंक का गवाह बना। भूतबंगला रामलीला मैदान में और इंदिरा चौक स्थित पुराना जिला अस्पताल में एक बम ब्लास्ट हुआ था। इसमें 40 से अधिक लोगों की जान गई, जबकि कई लोग घायल हो गए थे। इस घटना को अंजाम देने से पहले आतंकियों ने पूरी तैयारी कर ली थी और बमों को जमीन गाड़ा गया था। यहां तक की रामलीला मैदान के पास स्थित जवाहर लाल नेहरू अस्पताल तक धमाके हुए थे। आतंकियों ने साइकिल में बम बांध रखे थे। जो भी घायल अस्पताल की ओर आया वह भी अस्पताल में हुए धमाके में मारे गए या फिर गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
इस दौरान 30 लोग रामलीला मैदान में और 10 से अधिक लोग जिला अस्पताल में हुए विस्फोट में मारे गए थे। भले ही आज तराई में आतंकियों का सफाया हो चुका है, लेकिन शनिवार को जिस तरह से पंजाब के पठानकोट में हुए बम धमाकों के साजिशकर्ता सुखप्रीत उर्फ सुख को शरण देने वाले बाजपुर, केलाखेड़ा और रामपुर के शमशेर सिंह, हरप्रीत सिंह, गुरपाल सिंह और अजमेर सिंह की गिरफ्तारी हुई उससे एक बार फिर रुद्रपुर में हुए बम धमाकों की याद ताजा हो गई है।