कुपोषण दूर करेगा जीबी पंत विश्वविद्यालय का आयरन से भरपूर गेहूं

भोजन में आयरन की कमी को दूर करने के लिए गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर के जैव प्रौद्योगिकी विभाग को बड़ी सफलता हाथ लगी है। प्रो. संदीप कुमार के नेतृत्व में विज्ञानियों की टीम ने भरपूर आयरनयुक्त गेहूं की उन्नत प्रजाति विकसित की है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Mon, 25 Jan 2021 11:41 AM (IST) Updated:Mon, 25 Jan 2021 11:41 AM (IST)
कुपोषण दूर करेगा जीबी पंत विश्वविद्यालय का आयरन से भरपूर गेहूं
पंत विवि के विज्ञानी ने जंगली प्रजाति के गेहूं से खोजा आयरन से भरपूर वाला जीनोम

रुद्रपुर, अरविंद सिंह : भोजन में आयरन की कमी को दूर करने के लिए गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर के जैव प्रौद्योगिकी विभाग को बड़ी सफलता हाथ लगी है। प्रो. संदीप कुमार के नेतृत्व में विज्ञानियों की टीम ने भरपूर आयरनयुक्त गेहूं की उन्नत प्रजाति विकसित की है। सामान्य गेहूं में जहां प्रति किलोग्राम 30 पार्ट पर मिलियन (पीपीएम) आयरन पाया जाता है। शोध के बाद गेहूं की सामान्य प्रजाति में आयरन प्रति किलोग्राम 60 पीपीएम तक पहुंच गया। अब पंत विवि समेत देश भर के सात संस्थान गेहूं की अन्य प्रजातियों में भी इस आयरनयुक्त जीनोम को विकसित करने में जुटे हैं। 

जैव प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार द्वारा संचालित नेटवर्किग परियोजना के तहत जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि पंतनगर ने 10 साल से अधिक समय तक शोध के बाद गेहूं में उच्च आयरन युक्त जीनोटाइप विकसित किया है। इस सफलता के बाद हाल में ही जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने नई परियोजना को भी मंजूरी दी है। इसके तहत विकसित किए गए आयरन जीनोटाइप को अब अधिक उपज प्रदान करने वाली गेहूं की अन्य प्रजातियों में भी विकसित किया जाएगा। इस पर शोध एनएबीआइ मोहाली के नेतृत्व में पंत विवि समेत छह अन्य संस्थान कर रहे हैं। 

इनमें पीएयू लुधियाना, आइसीएआर, डब्ल्यूबीआर करनाल, सीसीएस विवि मेरठ, इटरनल हिमाचल विवि व एआरआइ पुणे शामिल हैं। सभी केंद्रों के विज्ञानी सामूहिक रूप से गेहूं की अधिक आयरन के साथ-साथ ङ्क्षजक एवं प्रोटीन युक्त प्रजातियों को विकसित करने में लगे हैं। विज्ञानियों के मुताबिक उच्च आयरन युक्त जीनोम विकसित कर लिए जाने के बाद अब अन्य गेहूं प्रजातियों में भी इसके विकसित हो जाने से देश ही नहीं दुनिया भर के देशों में कुपोषण की समस्या का निदान होगा। यह गेहूं संपूर्ण पौष्टिक आहार के रूप में फलेगा और यह परियोजना मील का पत्थर साबित होगी। 

शोध से ऐसे मिली सफलता 

पंत विवि के मालिक्यूलर बायोलाजी एंड जेनेटिक इंजीनियङ्क्षरग विभाग के प्रो. संदीप कुमार बताते हैं कि जंगली गेहूं (एजिलाप्स काट्रयच्याई) का सामान्य प्रजाति के गेहूं के साथ विज्ञानी विधि से संकरण किया गया। लंबी रिसर्च के बाद भरपूर आयरनयुक्त एक डीएनए मिल गया। डीएनए से उस क्रोमोसोम को रेडिएशन के जरिये गेहूं की सामान्य प्रजातियों में विज्ञानी तरीके से ट्रांसफर किया गया। इससे सामान्य गेहूं प्रजाति में आयरन की मात्रा 50 से 60 पीपीएम यानि पार्ट पर मिलियन तक पहुंच गई। जबकि इससे पूर्व गेहूं में आयरन की मात्रा करीब 30 पीपीएम थी। इसके बाद पांच साल तक इस गेहूं की पैदावार एवं उसमें उपलब्ध आयरन की मात्रा का विश्लेषण किया गया। सफलता मिलने के बाद अब इस जीनोम को गेहूं की विभिन्न प्रजातियों में ट्रांसफर करते हुए गेहूं की उन्नत एवं उच्च आयरनयुक्त प्रजाति विकसित करने के लिए सामूहिक शोध चल रहा है। इसके बाद ही इसका नामकरण भी किया जाएगा।   

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