अब सितंबर में भी ले सकेंगे आम का स्वाद, पंत विवि ने विकसित की नई प्रजाति

फलों का राजा आम अब सितंबर में भी स्वाद बढ़ाएगा। यह संभव होगा पं. गोविंद बल्लभ पंत कृषि व प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के प्रयास से। संस्थान ने आम की नई प्रजाति विकसित की है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Tue, 08 Sep 2020 06:48 AM (IST) Updated:Tue, 08 Sep 2020 10:09 PM (IST)
अब सितंबर में भी ले सकेंगे आम का स्वाद, पंत विवि ने विकसित की नई प्रजाति
अब सितंबर में भी ले सकेंगे आम का स्वाद, पंत विवि ने विकसित की नई प्रजाति

रुद्रपुर, जेएनएन : फलों का राजा आम अब सितंबर में भी स्वाद बढ़ाएगा। यह संभव होगा पं. गोविंद बल्लभ पंत कृषि व प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के प्रयास से। संस्थान ने आम की नई प्रजाति विकसित की है। इसमें शुगर की मात्रा लंगड़ा व दशहरी की अपेक्षा काफी कम है। साथ ही सेहत के लिए भी फायदेमंद है।

विश्वविद्यालय के उद्यान अनुसंधान केंद्र में नई प्रजातियों को विकसित किया जाता है। अखिल भारतीय समन्वित फल परियोजना के तहत वर्ष, 2008 से 2012 तक राज्य में जनन द्रव्य यानि जर्म प्लाज्मा के लिए सर्वेक्षण किया गया। इसमें 22 जर्म प्लाज्मा एकत्र किए गए। नौ प्लाज्मा नेशनल एक्टिव जर्म प्लाज्मा साइड रहमान खेड़ा लखनऊ भेजे गए।

पंत विवि के उद्यान विज्ञान विभाग के प्रो. डॉ. अशोक कुमार सिंह ने बताया कि सर्वेक्षण के दौरान शोध केंद्र में ग्रॉफ्टिंग की गई। पांच साल बाद सितंबर में फल लगे हैं। विवि के शोध निदेशक डॉ. अजीत सिंह नैन व संयुक्त निदेशक डॉ. एके सिंह ने सोमवार को आम की विकसित पीएमएसएस-1 प्रजाति को मीडिया के समक्ष प्रस्तुत किया।

नई प्रजाति की खासियत

इसके मध्यम श्रेणी के पेड़ हैं। सितंबर के प्रथम सप्ताह में पकता है। आम का आकार 230 से 250 ग्राम तक। शर्करा व अम्लता की मात्रा 0.22 व 0.28 फीसद है, जो सेहत के लिए फायदेमंद है। शुगर की मात्रा 12.20 से 13 प्रतिशत तक है, जबकि लंगड़ा व दशहरी में करीब 20 प्रतिशत।

ट्रॉयल के तौर लगाने का भेजेंगे प्रस्ताव

पंत विवि के उद्यान शोध केंद्र पत्थरचट्टा के संयुक्त निदेशक डॉ. एके सिंह ने बताया कि आम की नई प्रजाति को नेशनल ब्यूरो ऑफ प्लांट एंड जेनेटिक रिर्सोसेज दिल्ली में भेजा गया है। इसके बाद अखिल भारतीय समन्वित फल परियोजना के तहत देश के विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में इस प्रजाति को ट्रॉयल के तौर लगाने के लिए प्रस्ताव भेजा जाएगा।

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