आरटीई का 107 करोड़ का बजट अधिकारियों के खाते में डंप, बांटने की जहमत नहीं उठा रहे nainital news
हल्द्वानी में शिक्षा विभाग के अफसरों का ढुलमुल रवैया अब विभाग के आला अफसरों के लिए ही नहीं बल्कि स्कूलों व अभिभावकों के लिए भी नासूर बन गया है।
हल्द्वानी, जेएनएन : शिक्षा विभाग के अफसरों का ढुलमुल रवैया अब विभाग के आला अफसरों के लिए ही नहीं, बल्कि स्कूलों व अभिभावकों के लिए भी नासूर बन गया है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत पूर्व में मिले 55 करोड़ रुपये न बांट पाने के कारण अब शेष 107 करोड़ के बजट पर भी ग्रहण लग सकता है। ऐसे में न तो स्कूलों को समय पर आरटीई का पैसा मिलेगा और न ही अभिभावकों को छात्र प्रतिपूर्ति की रकम।
अफसरों के ढुलमुल रवैये से नहीं बांटा जा सका बजट
शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत प्राइवेट व सरकारी स्कूलों में 25 फीसद सीटों पर निर्धन तबके के बच्चों को निश्शुल्क एडमिशन दिया जाता है। वर्तमान में राज्य में आरटीई के तहत एक लाख तीन हजार बच्चे अध्ययनरत हैं। सत्र की शुरुआत में बजट न मिल पाने से अभिभावक जैसे-तैसे पैसे जुटाकर बच्चों को ड्रेस व किताबें खरीदकर देते हैं। वहीं, स्कूल भी इन बच्चों का शिक्षण शुल्क खुद ही अपनी जेब से भरते हैं। बजट मिलने पर किताब और ड्रेस का पैसा बच्चों के बैंक खाते में तो शिक्षण शुल्क का पैसा स्कूल को दिया जाता है, लेकिन जिलों में तैनात शिक्षा विभाग के अफसरों के ढुलमुल रवैये के चलते शासन से मिला बजट अब तक नहीं बांटा जा रहा।
55 करोड़ का बजट जिलों में उप शिक्षा अधिकारियों के खाते
55 करोड़ का बजट कई जिलों में उप शिक्षा अधिकारियों के खाते में अब तक जमा ही है। विभाग के आला अफसरों का कहना है कि शासन स्तर से सख्त निर्देश मिले हैं कि जब तक स्कूलों को पुराना बजट नहीं बांट दिया जाता, तब तक सत्र 2018-19 व 2019-20 के शेष 107 करोड़ रुपये का बजट जारी नहीं किया जाएगा। डॉ. मुकुल कुमार सती, अपर राज्य परियोजना निदेशक, समग्र शिक्षा उत्तराखंड ने बताया कि पूर्व में दी गई धनराशि स्कूलों को बांटने के बाद ही शेष 107 करोड़ का बजट मिलेगा। ये बजट सत्र 2019-20 मार्च तक का है। सचिव ने भी इस संबंध में सख्त निर्देश जारी किए हैं।
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