दफ्तर में नहीं फील्ड में पसीना बहाएं डीएफओ

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी: प्रमुख वन संरक्षक जयराज ने वन विभाग के अधिकारियों को फील्ड में नियमित गश

By JagranEdited By: Publish:Tue, 22 May 2018 08:26 PM (IST) Updated:Tue, 22 May 2018 08:26 PM (IST)
दफ्तर में नहीं फील्ड में पसीना बहाएं डीएफओ
दफ्तर में नहीं फील्ड में पसीना बहाएं डीएफओ

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी: प्रमुख वन संरक्षक जयराज ने वन विभाग के अधिकारियों को फील्ड में नियमित गश्त के निर्देश दिए हैं। कहा कि दफ्तर में कामकाज निपटाने के बाद डीएफओ का जंगल गश्त पर जाना जरूरी है। तभी उन्हें जमीनी हकीकत का पता चलेगा। वहीं, कुमाऊं में बढ़ती लीसा तस्करी की घटनाओं पर उन्होंने सख्ती के साथ रोक लगाने के निर्देश दिए हैं।

पीसीसीएफ जयराज का मंगलवार से 12 दिवसीय कुमाऊं भ्रमण शुरू हो चुका है। पहले दिन उन्होंने रामपुर रोड स्थित एफटीआइ में वेस्टर्न सर्किल के अधिकारियों की बैठक ली। कहा कि जंगल के भीतर पौधरोपण समेत अन्य कई प्रोजेक्ट पर विभाग काम करता है। इनकी समीक्षा के लिए डीएफओ को नियमित और औचक निरीक्षण करना होगा। अगली बार बैठक के दौरान सभी प्रोजेक्ट की लिस्ट देखने के बाद निरीक्षण कर काम देखा जाएगा। पीसीसीएफ ने कहा कि कुमाऊं लीसा उद्योग का बड़ा केंद्र है। इसके चलते यहां लीसा तस्करी की घटनाएं बढ़ रही है। तस्करी का कनेक्शन आमतौर पर अल्मोड़ा से जुड़ा होता है। इसके चलते लीसा कारोबारियों और विभागीय अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक के अलावा फैक्ट्रियों की संचालन गतिविधियों की समीक्षा भी होगी। इससे पूर्व जयराज ने एफटीआइ में प्रशिक्षु रेंजरों को क्लास लेते हुए उन्हें जैव विविधता की जानकारी और जंगलों की सुरक्षा के टिप्स भी दिए। इस दौरान अपर प्रमुख वन संरक्षक विनोद पांगती, प्रमुख वन संरक्षक कुमाऊं डॉ. कपिल जोशी, वन संरक्षक पश्चिमी वृत्त डॉ. पराग मधुकर धकाते, डीएफओ डॉ. नितीश मणि त्रिपाठी, डॉ. चंद्रशेखर सनवाल, कल्याणी नेगी और प्रशिक्षु आइएफएस हिमांशु बंगारी मौजूद रहे।

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आग पर काबू पाने को सहयोग जरूरी

जंगलों में लगातार बढ़ रही आग की घटनाओं को लेकर पीसीसीएफ ने कहा कि वनाग्नि पर काबू पाने को स्थानीय लोगों का सहयोग जरूरी है। फायर फाइटर्स का पुराना भुगतान हो चुका है। सरकार से बजट मिल चुका है। हालांकि 1500 फॉरेस्ट गार्ड की कमी के कारण वनकर्मियों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है।

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रिटायर्ड अफसरों से लेंगे टिप्स

जयराज ने कहा कि विभाग से रिटायर हो चुके अफसरों के अनुभव और राय पता कर वन्यजीव और वनस्पति संरक्षण के साथ सुरक्षा उपायों पर मंथन किया जा सकता है। जंगल के भीतर काम करने की परिस्थितियां हर बार अलग होती हैं। अनुभव साझा कर हम समस्या का समाधान खोज सकते हैं।

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जैसी डिमांड, वैसी रिसर्च

पीसीसीएफ के अनुसार वन विभाग को रिसर्च के तरीके बदलने होंगे। मौजूदा समय में सबसे बेहतर है कि हम उन चीजों पर शोध करें, जिनकी डिमांड है।

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कॉर्बेट की समस्या सुलझाएंगे

कॉर्बेट पार्क में अक्सर बुकिंग और सफारी सुविधा को लेकर समस्या पैदा हो जाती है। इन सभी मुद्दों को सुलझाने के लिए वन विभाग दो दिन कॉर्बेट पार्क में बैठक करेगा। ईको-पर्यटन कार्य और वन्यजीव संरक्षण के कामों की समीक्षा खुद पीसीसीएफ करेंगे।

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बंदरों की नसबंदी पर जोर

पहाड़ के काश्तकारों की फसल को चौपट करने वाले बंदरों की नसंबदी को लेकर वन विभाग का खास फोकस है। पीसीसीएफ ने बताया कि अल्मोड़ा और रानीबाग सेंटर पूरी तरह तैयार है। जल्द डॉक्टरों की कमी पूरी कर सेंटर की समीक्षा शुरू हो जाएगी।

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ट्रैक पर लगाएंगे स्पीड सेंसर

रेलवे ट्रैक पर ट्रेन की चपेट में आने से वन्यजीवों की मौत को लेकर वन विभाग अब खुद का स्पीड सेंसर लगा गति चेक करेगा। रेलवे बोर्ड के बड़े अधिकारियों के साथ बैठक कर स्पीड कंट्रोल को लेकर बात की जाएगी। पीसीसीएफ ने कहा कि दून से पहले रायवाला-कंकासू के पास रेलवे से बात कर ट्रेन की स्पीड 35 किमी प्रति घंटा करवाई गई है। उसके बाद से किसी वन्यजीव की ट्रेन की चपेट में आने से मौत नहीं हुई। इस जोन के रेलवे बोर्ड से इस बाबत बात की जाएगी। बैठक को लेकर उन्होंने अधिकारियों को पिछले हादसों का पूरा डाटा तैयार करने के निर्देश दिए।

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गौला हाथी कॉरीडोर का निरीक्षण होगा

गौला के अंदर हल्द्वानी से शांतिपुरी तक 22 किमी का एरिया सालों पुराना हाथी कॉरीडोर है। सूत्रों की मानें तो कई कॉरीडोर पर भी कुछ जगह अतिक्रमण का साया पड़ चुका है। पीसीसीएफ जयराज ने कहा कि 29 मई को गौला मॉनीट¨रग कमेटी की बैठक के साथ कॉरीडोर का निरीक्षण भी किया जाएगा।

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