Nainital Is In Danger : नैनीताल शहर पर मंडरा रहा 1880 के भूस्खलन जैसा बड़ा खतरा

Nainital Is In Danger नैनीताल में आज फिर भवाली रोड पर बड़ा भूस्खलन हुआ है। जिसके बाद सड़ी का करीब 30 मीटर हिस्सा खाई में समा गया है। लगातार बड़ी रही भूस्खलन की घटनाएं 1880 जैसे बड़े त्रासदी का संकेत दे रही हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Fri, 29 Jul 2022 03:26 PM (IST) Updated:Fri, 29 Jul 2022 03:26 PM (IST)
Nainital Is In Danger : नैनीताल शहर पर मंडरा रहा 1880 के भूस्खलन जैसा बड़ा खतरा
Nainital Is In Danger : नैनीताल में चौतरफा भूस्खलन बड़े खतरे का संकेत दे रहा है।

जेएनएन, नैनीताल : सरोवर नगरी नैनीताल में खतरे का अलार्म बज रहा है। राजभवन की पहाड़ी से निहालनाला तक के निचले इलाके में खनन व मनमाने निर्माण से हालात इस कदर बदतर हो गए हैं कि तत्काल ठोस पहल नहीं की गई तो पूरा शहर ही खतरे में पड़ जाएगा।

असल में बलियानाला, चायना पीक, टिफिनटाप व नैना पीक के साथ ही सात नंबर समेत अन्य संवेदनशील पहाड़ियों पर लगातार भूस्खलन व दरार चौड़ी होने लगी है। इससे यहां वर्ष 1980 जैसा खतरा फिर मंडराने लगा है। तब अल्मा पहाड़ी का बड़ा हिस्सा झील में समा गया था, जिसकी चपेट में आकर देखते ही देखते 43 ब्रिटिश नागरिकों समेत 151 लोगों की मौत हो गई थी।

ब्रिटिश शासकों ने इस विनाशकारी भूस्खलन के बाद शहर को दोबारा संवारने की कोशिश की। लेकिन बाद के दिनों में उनके प्रयासों को दरकिनार कर मनमानी निर्माण, अतिक्रमण व आसपास के क्षेत्रों में खनन शुरू कर दिया गया। इससे 24 जुलाई को फिर उसी अल्मा पहाड़ी पर बड़ा भूस्खलन हुआ। उसकी चपेट में कई मकान भी आ गए। इससे प्रशासन सबक लेता कि शुक्रवार दोपहर में नैनीताल-भवाली रोड पर भी भूस्खलन शुरू हो गया।

खत्म हो चुकी है नैनीताल की भार क्षमता

कुमाऊं विश्वविद्यालय के भूविज्ञानी प्रो. बीएस कोटलिया के अनुसार वर्ष 2006 में प्रदेश सरकार ने स्वीकारा कि नैनीताल की भार क्षमता अब समाप्त हो गई है। यहां अब निर्माण नहीं होना चाहिए। लेकिन 2022 में भी यहां बेधड़क निर्माण चल रहा है।

नैनीताल झील तीन तरफ से पहाड़ियों से घिरी हुई है। ऊपर मल्लीताल की तरफ नैना पीक पहाड़ी, एक तरफ अयारपाटा पहाड़ी, दूसरी तरफ शेर का डांडा पहाड़ी और नीचे तल्लीताल की तरफ बलिया नाला। ऐसे में हर तरफ से हो रहा भूस्खलन शहर के अस्तित्व के लिए ठीक नहीं माना जा रहा।

तो यह है अहम कारण

प्रो. बीएस कोटलिया का मानना है कि नैनीताल और नैनी झील के बीच से गुजरने वाले फाल्ट के एक्टिव होने से भूस्खलन और भूधंसाव की घटनाएं सामने आ रही हैं। असल में ज्योलीकोट से कुंजखड़क तक एक बड़ी क्षेत्रीय भ्रंश रेखा मौजूद है, जो बलियानले के समीप से नैनी झील के मध्य से होती हुई गुजरती है।

इसे नैनीताल फाल्ट कहते हैं। यह फाल्ट या दरार भूगर्भीय हलचलों का परिणाम है। इसी से इस फाल्ट के एक्टिव होने के संकेत मिल रहे हैं। इस दरार के सिकुड़ने या खुलने से ही भूस्खलन जैसी घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। शहर में लगातार बढ़ता भवनों का दबाव भी एक अहम वजह है। प्रो. कोटलिया ने चेताया कि अभी भी शहरवासी नहीं संभले तो परिणाम भयावह हो सकता है।

बचाव के लिए उपाय

भूविज्ञानियों के अनुसार नैनीताल की लोअर माल रोड पर वाहनों का आवागमन नियंत्रित किया जाय। निर्माण कार्यों पर रोक लगाई जाय। पहाड़ी से जल निकासी के लिए बनाए गए पुराने 64 नालों से अतिक्रमण हटाया जाय। हरितपट्टी का विस्तार हो। खनन पर रोक लगे।

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