महाराष्ट्र के राज्यपाल कोश्यारी लौटे बचपन के दिनों में, पहुंचे स्कूल

महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी शनिवार को पैतृक गांव नेमती चेटाबगड़ पहुंचे। जिसके बाद वह अपने उस स्कूल में पहुंचे जहां उन्होंने इंटर तक की पढ़ाई की थी। वहां बैठे और बचपन के दिनों को याद किया।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Sun, 07 Nov 2021 07:33 AM (IST) Updated:Sun, 07 Nov 2021 07:33 AM (IST)
महाराष्ट्र के राज्यपाल कोश्यारी लौटे बचपन के दिनों में, पहुंचे स्कूल
महाराष्ट्र के राज्यपाल कोश्यारी लौटे बचपन के दिनों में, पहुंचे स्कूल

जागरण संवाददाता, बागेश्वर : महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी शनिवार को पैतृक गांव नेमती चेटाबगड़ पहुंचे। जिसके बाद वह अपने उस स्कूल में पहुंचे जहां उन्होंने इंटर तक की पढ़ाई की थी। वहां बैठे और बचपन के दिनों को याद किया। उनके सम्मान में ग्रामीणों ने इंटर कालेज शामा में कार्यक्रम आयोजित कर उन्हें फूल माला पहनाई। भगतदा ने कहा कि पढ़ाई करो और आगे बढ़ो। इसी स्कूल में मैंने भी पढ़ा था। उन्होंने ग्रामीणों को खेती के लिए प्रेरित किया और प्रधानमंत्री को देश का सच्चा प्रधान सेवक बताया।

दीपावली पर अपने पैतृक गांव नेमती चेटाबगड़ पहुंचे राज्यपाल कोश्यारी पूरे क्षेत्र के भ्रमण पर हैं। शनिवार सुबह वह गांव के राजकीय प्राथमिक विद्यालय पहुंचे। वहां कुछ देर सुस्ताने के बाद स्कूल परिसर को निहारा और यादें ताजा की। इसके बाद शामा इंटर कालेज पहुंचे। शामा से उन्होंने छठी से आठवीं तक की पढ़ाई की थी। शनिवार को जब वह राज्यपाल बनकर इस परिसर में पहुंचे तो क्षेत्रवासी भी गदगद दिखे। यहां सम्मान समारोह में भगतदा ने कहा कि हम मेहनतकश हैं और पसीने की कमाई खाएंगे। किसानों को खेती पर विशेष ध्यान देना है। कोरोनाकाल में सबकुछ बंद हो गया। नौकरी भी गई लेकिन खेती और किसानों को इसका कोई असर नहीं पड़ा। क्षेत्र में कीवी, राजमा समेत तमाम फसलें पैदा होती हैं। जिनकी पैकेजिंग की जा सकती है।

भगत ने कहा कि सबसे उत्तम काम खेती है। उसके बाद दुकानदारी और सबसे खराब है नौकरी। कुटीर, लघु उद्योग लगाएं। जिस पर सरकार का फोकस है। प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री बेहतर काम कर रहे हैं। असल काम आपने करना है। कपकोट क्षेत्र में संचार सेवा बेहतर करने के लिए 12 मोबाइल टावर शीघ्र लगेंगे। 11 नवंबर को प्रधानमंत्री ने सभी राज्यपालों को बुलाया है। वह देश की चिंता करते हैं। स्वास्थ्य, शिक्षा आदि के बारे में पूछते हैं। उनकी कोशिश है कि भारत देश आत्मनिर्भर बने। शामा के बाद भगतदा राजकीय इंटर कालेज कपकोट भी पहुंचे। जहां उन्होंने 10वीं और 12वीं की पढ़ाई की थी। पूरे दिन स्कूल और बचपन की यादों को समेटे भगतदा शाम को बागेश्वर लौट आए।

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