जानिए नैनीताल के बोट हाउस क्लब का इतिहास, सेलिंग क्‍लब के रूप में हुई थी शुरुआत

Nainital Tourist Places Information बसासत के बाद से ही नैनीताल का गौरवान्वित इतिहास रहा है। ब्रिटिश हुक्मरानों ने शहर को न सिर्फ सुनियोजित तरीके से बसाया बल्कि यहाँ इस तरह की सुविधाएं विकसित कर गतिविधियां संचालित की कि उन्हें अपने देश में ही रहने का अहसास हो सके।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Sun, 26 Sep 2021 01:18 PM (IST) Updated:Sun, 26 Sep 2021 03:51 PM (IST)
जानिए नैनीताल के बोट हाउस क्लब का इतिहास, सेलिंग क्‍लब के रूप में हुई थी शुरुआत
जानिए नैनीताल के बोट हाउस क्लब का इतिहास, सेलिंग क्‍लबे के रूप में हुई थी शुरुआत

नरेश कुमार, नैनीताल : Nainital Tourist Places Information बसासत के बाद से ही नैनीताल का गौरवान्वित इतिहास रहा है। ब्रिटिश हुक्मरानों ने शहर को न सिर्फ सुनियोजित तरीके से बसाया, बल्कि यहाँ इस तरह की सुविधाएं विकसित कर गतिविधियां संचालित की कि उन्हें अपने देश में ही रहने का अहसास हो सके। शहर में बने कई ऐतिहासिक भवन और संस्थाएं आज भी ब्रिटिशकालीन वास्तुकला और समृद्धि को बयां करते हैं। उन्हीं में से एक है बोट हाउस क्लब। खेल गतिविधियों के लिए सेलिंग क्लब के रूप में शुरू हुए इस क्लब ने आजादी के बाद बोट हाउस क्लब का रूप ले लिया है। जिसका अपना एक समृद्ध इतिहास रहा है।

इतिहासकार प्रो अजय रावत बताते है कि 1892 में यहाँ सेलिंग क्लब की स्थापना की गई थी। जिस क्रम में बोट हाउस क्लब मुख्य भवन का 1897 में निर्माण किया गया। जिसके बाद नैनी झील में सेलिंग प्रतियोगिता व गतिविधियां संचालित होने लगी। 1910 में सेलिंग क्लब को नैनीताल याट क्लब नाम दिया गया। ब्रिटिशकाल में इस क्लब की प्रसिद्धि इतनी थी कि इसे यॉट सेलिंग एसोसिएशन से मान्यता प्राप्त थी। क्लब के द्वारा कई राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता था।

1948 के बाद अस्तित्व में आया बोट हाउस क्लब नाम

क्लब के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी जीबी जोशी ने बताया कि 1948 से पूर्व नैनीताल यॉट क्लब का बोट हाउस क्लब के नाम से पंजीकरण कराया गया। हालांकि नैनीताल यॉट क्लब भी इसका ही एक हिस्सा है। 1948 के बाद से क्लब के संचालन के लिए कार्यकारिणी का गठन होता रहा है।

73 वर्षों में 44 से 6100 तक पहुँची सदस्य संख्या

जीबी जोशी ने बताया कि 1948 में पंजीकरण के बाद 44 सदस्यों के साथ बोट हाउस क्लब के संचालन शुरू किया गया था। इस समय ठाकुर दान सिंह बिष्ट, पीएस हार्म, रामपुर के नवाब राजा अली खां, जे स्टीफन, राजकुमार गिरी राज सिंह इसके फाउंडर मेंबरों में शामिल थे। क्लब पंजीकरण के बाद अब तक करीब 6100 लोगों को इसमें सदस्यता दी जा चुकी है।

स्क्रीनिंग कमेटी की सहमति पर ही दी जाती है सदस्यता

झील किनारे स्थित बोट हाउस क्लब शहर पहुँचने वाले पर्यटकों को खासा आकर्षित करता है। कई पर्यटक इस क्लब के हिस्सा भी बनना चाहते है। मगर क्लब के सदस्य बनना आसान नही है। क्लब की सदस्यता पाने के लिए कुछ विशेष नियम और शर्ते निर्धारित है। जीबी जोशी ने बताया कि शर्तो को पूरा करने के बाद क्लब की ओर से गठित स्क्रीनिंग कमेटी ही नए लोगों को सदस्यता देने का निर्णय लेती है।

सदस्यता शुल्क से ही होता है संचालन

बोट हाउस क्लब में लाइब्रेरी, बार, ब्रिलियड्स, जिम, यार्ड्स और रेस्टोरेंट की सुविधाएं सदस्यों को दी जाती है। जीबी जोशी ने बताया कि क्लब की सदस्यता लेने वाले नए सदस्यों को तीन लाख रुपये सदस्यता शुल्क अदा करना पड़ता है। इसके अलावा क्लब के हर सदस्य से सालाना 3500 रुपये शुल्क लिया जाता है। इस पैसे से ही क्लब की देखरेख, कर्मियों का वेतन और अन्य व्यवस्थाएं संचालित की जाती है।

आज आएगा कार्यकारिणी गठन को हुए चुनाव का नतीजा

बोट हाउस क्लब की नौ सदस्यीय कार्यकारिणी गठन के लिए हर वर्ष चुनाव आयोजित किये जाते है। क्लब के सदस्य चुनाव के माध्यम से नौ सदस्यों का चयन करते है। जिसमें से सचिव, उपाध्यक्ष और सयुक्त सचिव चुने जाते है। कुमाऊं कमिश्नर क्लब के पदेन अध्यक्ष होता है। शनिवार को कार्यकारिणी गठन को लेकर चुनाव आयोजित किये गए है। जिसका आज परिणाम घोषित होगा।

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