कोरोना की दूसरी लहर में भी गोवंशीय पशुओं की मदद में जुटे जोगेंद्र राणा, अब तक 550 पशुओं का करा चुके उपचार

कोई गोवंशीय पशु ज्यादा घायल हो तो गोशाला भेजने से पहले यहां उपचार के लिए रखा जाता है। लेकिन व्यवस्था ठीक नहीं होने के कारण कमरों में झाड़ू भी जोगेंद्र लगाते हैं। इसके अलावा कम उम्र होने के कारण पशुओं को बोतल से दूध पिलाते हैं।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Sat, 14 Aug 2021 11:38 PM (IST) Updated:Sat, 14 Aug 2021 11:38 PM (IST)
कोरोना की दूसरी लहर में भी गोवंशीय पशुओं की मदद में जुटे जोगेंद्र राणा, अब तक 550 पशुओं का करा चुके उपचार
कोरोना के खतरे के बावजूद गोवंशीय के प्रति प्रेम ने उन्हें घर में नहीं रुकने दिया।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : शहर की तंग गलियों से लेकर गांव तक निराश्रित गोवंशीय पशुओं के जख्मी या बीमार होने की सूचना पर जोगेंद्र सिंह राणा तुरंत बाइक लेकर निकल पड़ते हैं। 12 साल हो गए इन बेजुबानों की सेवा करते हुए, इसलिए झोले में जरूरी दवा व इंजेक्शन भी मिलेंगे, ताकि इमरजेंसी में प्राथमिक उपचार दे सकें। कोरोना की पहली व दूसरी लहर के खतरे के बावजूद गोवंशीय पशुओं के प्रति प्रेम ने उन्हें घर में नहीं रुकने दिया। संपर्क करने पर वह हर हाल में पहुंचते।

हल्द्वानी के बदरीपुरा निवासी जोगेंद्र राणा की नवाबी रोड पर हीरा आर्ट के नाम से साउंड एवं प्रचार सामग्री की दुकान है। 2009 से वह शहर की सड़कों पर भटकने वाले गोवंशीय पशुओं की मदद में जुटे हैं। स्थिति यह है कि शहर के पार्षद से लेकर गांव के लोग तक किसी भी घायल पशु को देखने पर सीधा जोगेंद्र को फोन लगाते हैं। अधिकांश बार इलाज के पैसे भी जेब से जाते हैं। जोगेंद्र के मुताबिक, अब तक वह 550 से अधिक बेजुबानों की मदद कर चुके हैं। हालांकि, हल्द्वानी में गोवंशीय पशुओं के उपचार को लेकर अक्सर एक दिक्कत आती है कि सोमवार व शुक्रवार को पशु चिकित्सक दूसरे ब्लॉक में ड्यूटी को जाते हैं और रविवार को अवकाश। ऐसे में इन तीन दिन मदद के लिए कॉल आने पर निजी चिकित्सक की मदद लेनी पड़ती है।

जोगेंद्र के मुताबिक, कई बार लोग मौके पर बुला तो लेते है लेकिन डर या अन्य वजह से गोवंशीय पशु को हाथ नहीं लगाते। झाड़ू लगाया और दूध भी पिलाया राणा के मुताबिक, नवाबी रोड स्थित पशु चिकित्यालय के परिसर में दो खंडहरनुमा कमरे हैं। अगर कोई गोवंशीय पशु ज्यादा घायल हो तो गोशाला भेजने से पहले यहां उपचार के लिए रखा जाता है। लेकिन व्यवस्था ठीक नहीं होने के कारण कमरों में झाड़ू भी जोगेंद्र लगाते हैं। इसके अलावा कम उम्र होने के कारण पशुओं को बोतल से दूध पिलाते हैं।

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