India-China Tension : एलएसी पर फायरिंग के बाद चीन सीमा पर अलर्ट, नेपाल से जासूसी की आशंका

India-China Tension एलएसी पर फायरिंग के बाद पिथौरागढ़ जिले को हाई अलर्ट कर दिया गया है। यहां से लगती चीन सीमा पर सेना और आइटीबीपी के जवानों ने चौकसी बढ़ा दी है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Wed, 09 Sep 2020 07:05 AM (IST) Updated:Wed, 09 Sep 2020 07:05 AM (IST)
India-China Tension : एलएसी पर फायरिंग के बाद चीन सीमा पर अलर्ट, नेपाल से जासूसी की आशंका
India-China Tension : एलएसी पर फायरिंग के बाद चीन सीमा पर अलर्ट, नेपाल से जासूसी की आशंका

पिथौरागढ़, जेएनएन : India-China Tension : एलएसी पर सोमवार को फायरिंग के बाद पिथौरागढ़ जिले को हाई अलर्ट कर दिया गया है। यहां से लगती चीन सीमा पर सेना और आइटीबीपी के जवानों ने चौकसी बढ़ा दी है। इस बीच नेपाल से चीन के लिए होने वाली जासूसी की आशंका के मद्देनजर एसएसबी को भी विशेष निर्देश जारी किया गया है।

चीन सीमा तक गर्बाधार-लिपुलेख सड़क बनने के बाद से ही नेपाल और चीन के सुर बदल गए हैं। चीन के इशारे पर नेपाल ने भारत विरोध का अभियान शुरू किया है। कालापानी, लिपुलेख, लिंपियाधुरा को अपने नक्शे में शामिल कर सीमावर्ती क्षेत्रों में नेपाल ने सशस्त्र बल की बीओपी खोली। इसके बाद उच्च हिमालयी बॉर्डर आउट पोस्ट (बीओपी) को गुल्म (बटालियन) में तब्दील कर दिया। कव्वा में बेस कैंप बनाकर नेपाली सेना भारत की सैन्य गतिविधियों पर नर रख रही है। ऐसे में एलएसी पर बढ़ते तनाव के बीच नेपाल से चीन के लिए जासूसी की भी आशंका जताई जा रही है।

आइटीबीपी की सभी अधिकारी अग्रिम चौकियों पर तैनात

भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) के सभी अधिकारी चीन सीमा पर लगी अग्रिम चौकियों पर तैनात कर दिए गए हैं। तनाव बढऩे के बाद से यहां आइटीबीपी की तीन अतिरिक्ति बटालियन तैनात कर दी गई है। सभी बीओपी और पोस्टों पर भी जवानों की संख्या बढ़ा दी गई है। लिपुलेख से लिंंिपयाधुरा तक सेना और आइटीबीपी के जवान लगातार गश्त कर रहे हैं।

तो इसलिए अहम है पिथौरागढ़ सीमा

-पिथौरागढ़ जिले से 136 किमी लगती है चीन सीमा

-पूरा क्षेत्र उच्च हिमालयी। सेना और आइटीबीपी के जवान तैनात

-चीन सीमा तक सीधी पहुंच के लिए लिपुलेख-गर्बाधार मार्ग तैयार

-पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय से मात्र सौ किमी हवाई दूर चीन ने बनाया मिसाइल लांचिंगपैड

-चीन के साथ ही नेपाल सीमा का भी जुड़ाव

-1962 से आज तक चीन यहां से कभी भी घुसपैठ की नहीं कर सका है जुर्रत

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