Sanskaarshala : बढ़ते आनलाइन बाजार के बीच इंटरनेट मीडिया इन्फ्लूएंसर का सही चुनाव करना बहुत आवश्यक

Sanskaarshala कंपनियां इस डेटा का इस्तेमाल उपभोक्ताओं के व्यवहार का अध्ययन करने के लिए करती हैं। इनका विश्लेषण किया जाता है। विश्लेषण की कई तकनीकों का इस्तेमाल करके कंपनियां व संगठन अपने लक्षित ग्राहक उनके व्यवहार उत्पाद आदि के बारे में जानकारी जुटाते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 28 Sep 2022 09:49 PM (IST) Updated:Wed, 28 Sep 2022 09:49 PM (IST)
Sanskaarshala : बढ़ते आनलाइन बाजार के बीच इंटरनेट मीडिया इन्फ्लूएंसर का सही चुनाव करना बहुत आवश्यक
Sanskaarshala : इससे अवसर बढ़े हैं तो साथ में चुनौतियां भी।

हल्द्वानी : Sanskaarshala : मौजूदा समय में इंटरनेट मीडिया के बढ़ते प्रभाव से शायद ही कोई अनजान हो। इंटरनेट मीडिया इंसान के निजी जीवन से लेकर सामाजिक, शैक्षिक व आर्थिक जीवन में भी अहम किरदार अदा करने लगा है। कोविड-19 महामारी के दौरान इंटरनेट ने शैक्षिक, सामाजिक के साथ स्वास्थ्य के क्षेत्र में अहम भूमिका निभाई।

इंटरनेट के उपयोग के साथ दुरुपयोग भी संभव

इंटरनेट मीडिया इंसान के व्यवहार को बदलने वाले प्लेटफार्म के तौर पर उभर रहा है। सही उपयोग के साथ इसका दुरुपयोग भी संभव है। इंटरनेट मीडिया पर रोजाना बड़ी संख्या में टेक्स्ट डेटा जेनरेट होता है। कंपनियां इस डेटा का इस्तेमाल उपभोक्ताओं के व्यवहार का अध्ययन करने के लिए करती हैं। इनका विश्लेषण किया जाता है। विश्लेषण की कई तकनीकों का इस्तेमाल करके कंपनियां व संगठन अपने लक्षित ग्राहक, उनके व्यवहार, उत्पाद आदि के बारे में जानकारी जुटाते हैं।

आनलाइन बाजार हो रहा मजबूत

इंटरनेट मीडिया से जमा हुए डेटा का विश्लेषण करने वाली तकनीकों में सेंटिमेंट ऐनालिसिस, टापिक माडलिंग, स्टाक मार्केट की भविष्यवाणी, ग्राहकों पर प्रभाव, न्यू ऐनालिटिक्स, इंटरनेट नेटवर्क ऐनालिसिस, कस्टमर सर्विस आदि अहम हैं। जैसे-जैसे इंटरनेट मीडिया यूजर बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे आनलाइन बाजार की संभावनाएं भी मजबूत होती जा रही हैं। इससे अवसर बढ़े हैं तो साथ में चुनौतियां भी।

ऐसे करता है काम

सेंटिमेंट ऐनालिसिस का इस्तेमाल कर उपभोक्ताओं के व्यवहार के बारे में कीमती जानकारी जुटाई जाती है। आप किसी उत्पाद के बारे में नेगेटिव बात करते हैं तो दूसरे भावी ग्राहक उससे दूर भाग जाएंगे। इसका संबंधित उत्पाद व कंपनी पर बुरा असर पड़ेगा। इसी तरह टापिक माडलिंग में उन टापिक का डेटा जुटाया जाता है, जिन पर इंटरनेट मीडिया में चर्चा हो रही है। इससे पता चलता है कि लोग किस चीज के बारे में बात कर रहे हैं। कंपनियां व संगठन उस आधार पर भावी रणनीति बनाते हैं।

मार्केटिंग का हिस्सा है इन्फ्लूएंसर

टेक्नोलाजी ने आनलाइन व्यापार को बढ़ाया है। ऐसा ही व्यवसाय है इन्फ्लूएंसर। ऐसा करने वाले को इंटरनेट मीडिया इन्फ्लूएंसर कहते हैं। ऐसा करने वाला फेसुबक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब जैसे इंटरनेट मीडिया अकाउंट से किसी भी प्रकार के उत्पादों को बढ़ावा देता है, उसे प्रचारित करता है। इसे इन्फ्लूएंसर मार्केटिंग करते हैं। वर्तमान में 86 प्रतिशत लोग किसी भी चीज को खरीदने से पहले इंटरनेट पर उसकी जांच करते हैं।

इंटरनेट मीडिया पर बढ़ती निर्भरता

विभिन्न इंटरनेट मीडिया माध्यमों पर उपभोक्ताओं की निर्भरता बढ़ रही है। एक अनुमान है कि 2022 के आखरी तक भारत में 500 मिलियन इंटरनेट मीडिया यूजर होंगे। 2019 में यह 300 मिलियन था। सरकार की देश को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने की है। गांव-गांव तक हाई स्पीड इंटरनेट पहुंचाया जाना है। जाहिर है आनलाइन बाजार अधिक गति पकड़ेगा।

परख व पुष्टि कर लेना जरूरी

दैनिक उपयोग की वस्तुएं से लेकर शैक्षिक, मनोरंजन सामग्री आनलाइन बिक रही है। इनकी मार्केटिंग के लिए इन्फ्लूएंसर के तौर पर प्रसिद्ध अभिनेता, अभिनेत्री, खिलाड़ी व समाज के अन्य वर्गों के प्रसिद्ध व्यक्ति काम कर रहे हैं। ऐसे में किसी भी उत्पाद, इन्फ्लूएंसर के नजरिये या दावे को एकदम सही नहीं माना जा सकता। हमें मार्केटिंग के फंडे को समझना होगा। याद रखना होगा कि इन्फ्लूएंसर किसी उत्पाद की मार्केटिंग कर रहा है। इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित होने वाले किसी भी कंटेंट की सत्यता को परख लेना जरूरी है। विषय विशेषज्ञ, परिवारजन व किसी परिचित जानकार से इसकी चर्चा जरूर करें। बाद में पछताने से बेहतर है कि पहले ही हर तरह की पड़ताल कर ली जाए।

जागरण संस्कारशाला के लिए यह लेख डा. प्रवीन पंत, प्रधानाचार्य केवीएम पब्लिक स्कूल हल्द्वानी ने उपलब्ध कराया है।

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