खुफिया अलर्ट के बाद भारत-नेपाल सीमा 30 अप्रैल तक सील, एसएसबी ने बढ़ाई चौकसी

खुफिया रिपोर्ट के बाद भारत-नेपाल सीमा को आगामी 30 अप्रैल तक के लिए सील कर दिया गया है। संदिग्‍ध लोग भारत में प्रवेश न करें इसके लिए बार्डर पर अधिक सतर्कता बरती जा रही है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Sat, 11 Apr 2020 07:55 PM (IST) Updated:Sat, 11 Apr 2020 09:54 PM (IST)
खुफिया अलर्ट के बाद भारत-नेपाल सीमा 30 अप्रैल तक सील, एसएसबी ने बढ़ाई चौकसी
खुफिया अलर्ट के बाद भारत-नेपाल सीमा 30 अप्रैल तक सील, एसएसबी ने बढ़ाई चौकसी

पिथौरागढ़, जेएनएन : नेपाल के रास्ते भारत में कोरोना संक्रमितों को भेजने की साजिश की खुफिया रिपोर्ट के बाद प्रशासन, पुलिस व एसएसबी अलर्ट हो गई है। सशस्त्र सीमा बल यानी एसएसबी ने भारत-नेपाल सीमा पर चौकसी बढ़ा दी है। दोनों देशों के मध्य आवाजाही के सात मार्ग वैध हैं, परंतु एक दर्जन से अधिक संदिग्ध रास्तों से अवैध आवाजाही का संभावना रहती है। ऐसे रास्तों पर एसएसबी के जवान दिन-रात निगरानी में लग गए हैं। डीएम वीके जोगदंडे के मुताबिक भारत-नेपाल सीमा 30 अप्रैल तक सील कर दी गई है।

देशों के बीच सात रास्ते वैध 

उत्तराखंड के सीमांत जिले पिथौरागढ़ के कालापानी से लेकर पंचेश्वर तक भारत और नेपाल की लंबी सीमा है। इस सीमा के भीतर झूलाघाट, ड्यौड़ा, जौलजीवी, बलुवाकोट, धारचूला, ऐलागाड़ और उच्च हिमालय में गब्र्याग में भारत-नेपाल के बीच वैध मार्ग हैं। दोनों देशों के बीच आवाजाही के लिए झूला पुल बने हैं।

टायर-ट्यूब से लेकर नाव के सहारे अवैध आवाजाही

पिथौरागढ़ जिले के धारचूला से ऊपर काली नदी पर अवैध तार लगाकर आवाजाही होती है। जौलजीवी से पंचेश्वर के मध्य अवैध तरीके से टायर ट्यूब से नदी पार की जाती है। झूलाघाट से पंचेश्वर के मध्य तो दस स्थानों पर नेपाल की तरफ से नावें चलती हैं। इनमें पांच स्थानों पर नेपाल सरकार ने मान्यता दे रखी है और पांच स्थल अवैध हैं। नेपाल सरकार ने जिन स्थानों पर मान्यता दी है, भारत उसमें भी सहमत नहीं रहा है। लॉकडाउन के बाद दोनों देशों के बीच नाव से आवाजाही बंद है।

अवैध रास्तों का इस्तेमाल भी कम नहीं

नेपाल से भारत में प्रवेश करने के लिए केवल काली नदी पार करनी है। काली नदी का जलस्तर अधिक होने तथा इसका प्रवाह तेज होने से इसे तैर कर पार करना काफी कठिन है। हालांकि तल्लाबगड़ से लेकर पंचेश्वर तक कुछ स्थानों पर तैराकी में पारंगत लोग नदी को तैर कर पार कर लेते हैं। अवैध कार्यों के लिए टायर ट्यूब का सहारा लिया जाता है। यहां तक कि टायर ट्यूब के सहारे सामान भी पार किया जाता है। इसमें भारत और नेपाल दोनोंं देशों के लोग शामिल रहते हैं। ऐसे में किसी के भी नेपाल से भारत मेंं प्रवेश करना सरल है।

सड़क न होने का फायदा उठाने की आशंका

आमतौर पर अप्रैल में गर्मी बढऩे से ग्लेशियरों के पिघलने से नदी का जलस्तर बढ़ जाता था। इस वर्ष मौसम अधिक गर्म नहीं है। जिससे ग्लेशियरों के नहीं पिघलने से नदी का जलस्तर उस तेजी के साथ नहीं बढ़ा है। जिले में भारत-नेपाल सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी एसएसबी के पास है। सीमा पर एसएसबी की बीओपी चौकियां हैं। इसके अलावा सीमा पर झूलाघाट, अस्कोट, जौलजीवी, बलुवाकोट, धारचूला और पांगला थाने हैं। खुफिया सूचना के बाद एसएसबी और पुलिस सतर्क है। सीमा पर अभी सभी स्थानों पर सड़क नहीं है, जिसका फायदा उठाया जा सकता है।

एसएसबी ने कहा हम तैयार

एसएसबी की 55वीं वाहिनी के निरीक्षक रणवीर सिंह का कहना है कि एसएसबी ने अपनी गश्त तेज कर दी है। चौकियों पर तैनात जवानों की संख्या को बांटकर टीमें बढ़ा दी गई हैं। अवैध रास्तों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही हैं।

यह भी पढ़ें : पासपोर्ट बताएगा जमातियों ने विदेश यात्रा की है या नहीं

यह भी पढ़ें : लॉकडाउन के दौरान ढील में नहीं होगी कटौती: सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत

chat bot
आपका साथी