बिल लेने को मौलिक दायित्व में शामिल करें ग्राहक, जानिए इसके फायदे

अपनी पसंद का सामान खरीदने के लिए व्यक्ति दुकान या आउटलेट पर 15 से 20 मिनट देता है, लेकिन बिल लेने के लिए दो मिनट भारी लगते हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Thu, 03 Jan 2019 01:20 PM (IST) Updated:Thu, 03 Jan 2019 06:59 PM (IST)
बिल लेने को मौलिक दायित्व में शामिल करें ग्राहक, जानिए इसके फायदे
बिल लेने को मौलिक दायित्व में शामिल करें ग्राहक, जानिए इसके फायदे

हल्द्वानी, जेएनएन : अपनी पसंद का सामान खरीदने के लिए व्यक्ति दुकान या आउटलेट पर 15 से 20 मिनट देता है, लेकिन बिल लेने के लिए दो मिनट भारी लगते हैं। कई बार दो-चार सौ रुपये सस्ते के चक्कर में बिल लेने से इन्कार कर देते हैं। ऐसी छोटी-छोटी आदतों या गलतियों से हम दुकानदार को यह मौका दे देते हैं कि वह किस बिक्री को रिकॉर्ड में दर्शाए और किसे छोड़ दे। बिल नहीं लेने की आदत से सरकार को राजस्व का नुकसान तो होता ही है। साथ ही कई बार हम खुद को बड़ा नुकसान भी करा देते हैं। राज्य कर विभाग के असिस्टेंट कमिश्नर विनय प्रकाश ओझा ने बुधवार को दैनिक जागरण के प्रश्न पहर में ये बातें कहीं। जिलेभर से तमाम लोगों ने अपनी समस्याओं का समाधान जानने व जिज्ञासा शांत करने के लिए फोन किया। प्रश्न पहर में आए प्रमुख सवाल व उनके जवाब।

सामान लाने से मना करते हैं ट्रांसपोर्टर

सालाना दो-तीन लाख रुपये का पिठ्या, कुमकुम का कारोबार करने वाले व्यापारी ने बताया कि जीएसटी नंबर नहीं होने से ट्रांसपोर्टर दिल्ली से सामान (डिब्बे आदि) लाने से मना कर देते हैं। असिस्टेंट कमिश्नर ओझा ने बताया कि सालाना 20 लाख से कम कारोबार वाले व्यापारी को जीएसटी में पंजीयन के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। रेलवे के माध्यम से आसानी से सामान मंगाया जा सकता है।

कब मददगार हो सकता है बिल

मिठाई से फूड प्वाइजनिंग होने, रेस्टोरेंट में खाने से तबीयत बिगडऩे, किसी दवा से इंफेक्शन होने आदि स्थिति में बिल अहम प्रमाण होता है। बिना बिल के इसे प्रमाणित करना मुश्किल हो जाता है। कोई गड़बड़ी होने पर बिल के आधार पर उपभोक्ता फोरम में आसानी से वाद दायर किया जा सकता है। बिल लेने को ग्राहक मौलिक दायित्व समझें।

जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कराने के फायदे

कई पाठकों ने जिज्ञासा जाहिर करते हुए कहा कि सालाना 20 लाख से कम का कारोबार करने पर जीएसटी में रजिस्ट्रेशन किस तरह से फायदेमंद है। विशेषज्ञ ने बताया किसी भी सामान की दूसरे राज्यों में बिक्री करने के लिए (सालाना 20 लाख रुपये से कम का कारोबार होने पर भी) जीएसटी पंजीयन जरूरी है। अदरक, फल, जड़ी-बूटी, आंवला, सब्जी जैसे कर मुक्त सामग्री को प्रोसेसिंग के बाद (जैसे अचार) बेचने पर रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। टैक्स क्रेडिट लेने के लिए भी पंजीयन जरूरी है।

बिना खरीद-बिक्री के भी रिटर्न भरना जरूरी

कई लोग माह में किसी तरह की खरीद-बिक्री न होने पर मासिक रिटर्न नहीं भरते, जबकि शून्य कारोबार पर भी रिटर्न भरना अनिवार्य है। प्रशिक्षित जीएसटी मित्र से रिटर्न भराया जा सकता है। जीएसटी मित्र की सूची, संपर्क नंबर विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध रहती है।

पाठक ने टैक्स चोरी के लिए किया आगाह

एक पाठक ने दूसरे राज्यों से लाई गई हैवी मशीन से राज्य को टैक्स का नुकसान करने की शिकायत की। असिस्टेंट कमिश्नर वीपी ओझा ने कहा आरटीओ की मदद से हैवी मशीन लाने वालों की सूची निकाली जाएगी। विभाग अपने स्तर से भी टैक्स न देने वाली फर्मों को ट्रेस करेगा। इसके बाद नियमानुसार कार्रवाई होगी।

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