स्‍लाटर हाउस को लेकर हाई कोर्ट की सख्‍ती के बाद पूरा सरकारी तंत्र कटघरे में nainital news

हाई कोर्ट ने 2011 में सरकार को तीन साल के भीतर स्लाटर हाउस बनाने का आदेश दिया था मगर आठ साल बाद भी सरकार इसे नहीं बना पाई है।

By Edited By: Publish:Wed, 27 Nov 2019 05:00 AM (IST) Updated:Wed, 27 Nov 2019 09:53 AM (IST)
स्‍लाटर हाउस को लेकर हाई कोर्ट की सख्‍ती के बाद पूरा सरकारी तंत्र कटघरे में nainital news
स्‍लाटर हाउस को लेकर हाई कोर्ट की सख्‍ती के बाद पूरा सरकारी तंत्र कटघरे में nainital news

नैनीताल, जेएनएन : हाईकोर्ट ने 2011 में सरकार को तीन साल के भीतर स्लाटर हाउस बनाने के निर्देश दिए थे। आठ साल में सरकारें बदल गई, मगर स्लाटर हाउस अस्तित्व में नहीं आ सके। वहीं चंद स्थानों को छोड़कर पूरे राज्य में मानकों को दरकिनार कर मांस की बिक्री हो रही है। वहीं 2018 में कोर्ट की सख्‍ती के बाद सरकार ने 72 घंटे के अंदर खुले में पशुओं के वध पर पाबंदी लगाने के साथ ही पूरे राज्य के धार्मिक स्थलों पर भी पशुबलि पर पाबंदी लगा दी। इस पाबंदी के बाद से पूरे प्रदेश में मशुबलि की संख्‍या में काफी कमी आई।

दरअसल, खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम-2005 के अस्तित्व में आने के बाद स्लाटर हाउस बनाने के नियमों को सख्त बना दिया गया। 2011 में हाई कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस बारिन घोष की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने तीन साल के भीतर स्लाटर हाउसों का निर्माण करने व वहां अधिनियम के प्रावधानों का अनुपालन करते हुए जानवरों का वध करने का आदेश पारित किया था। इस मामले में सरकार सुप्रीम कोर्ट भी गई, मगर राहत नहीं मिल सकी। अब हाई कोर्ट की तल्ख टिप्पणियों से सरकार के साथ ही नौकरशाही के कामकाज पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। प्रशासनिक विशेषज्ञ इस मामले को राज्य की नौकरशाही के सुस्त रवैये का सटीक उदाहरण बता रहे हैं।

इन मेलों में हुआ विवाद

चम्पावत जिले में बग्वाल मेला देवीधुरा, नैनीताल, अल्मोड़ा में नंदा देवी महोत्सव, पौड़ी गढ़वाल का प्रसिद्ध बुंखाल मेला, बागेश्वर का कोटगाड़ी मंदिर मेला, हाट कालिका मंदिर गंगोलीहाट पिथौरागढ़ मुख्य हैं, जहां पशुबलि दी जाती थी। हाई कोर्ट के आदेश के बाद ही यहां पशुबलि पर पाबंदी लगी।

स्लाटर हाउस के लिए खाद्य सुरक्षा एक्ट की सूची चार के तय प्रावधान

-स्थानीय निकाय व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना होगा

-गंदगी के निस्तारण के लिए ट्रीटमेंट प्लांट

-हर जानवर के रखने के लिए अलग-अलग जगह

-जानवरों के आराम करने के लिए जगह

-वध से पहले बेहोश करना जरूरी। मुर्गी को इलेक्ट्रिक झटके से, सुअर को गैस से बेहोश करना होगा

-बेहोश करने वाली स्टनगन जरूरी -गर्म पानी व बिजली का इंतजाम होना चाहिए

-वध से पहले व बाद में पशु चिकित्सक से प्रीमार्टम, पोस्टमार्टम हो

-पशु वध के लिए झटका या हलाल करने का अलग-अलग स्थान

-स्लाटर हाउस की दीवारों में टाइल्स होनी चाहिए, पशु वध के उपकरण स्टील के हों

निकायों के समक्ष चुनौतियां भी कम नहीं

स्थानीय निकायों के सामने स्लाटर हाउस बनाने की चुनौतियां भी कम नहीं हैं। सबसे बड़ी दिक्कत ट्रीटमेंट प्लांट बनाने की है। खराब आर्थिक स्थिति से जूझ रहे निकायों ने डीपीआर शासन को भेजी है, मगर बजट नहीं मिला। सूत्रों के अनुसार, नैनीताल में स्लाटर हाउस बनकर तैयार है, ईटीपी बनाने के लिए 25 लाख की डीपीआर तैयार की जा रही है। फूड सेफ्टी लाइसेंस लेना बाकी है। राज्य में करीब आठ स्लाटर बनकर तैयार है, मगर औपचारिकताएं अधूरी हैं।

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