हाईकोर्ट ने पूछा - केन्‍द्र व राज्‍य सरकारें बताएं प्रवासियों को लाने में क्यों हो रही है देरी

हाई कोर्ट ने लॉकडाउन में देश के तमाम शहरों में फंसे उत्तराखंड के प्रवासियों की वापसी में देरी पर सोमवार को सख्त नाराजगी जताई।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Tue, 19 May 2020 07:44 AM (IST) Updated:Tue, 19 May 2020 07:44 AM (IST)
हाईकोर्ट ने पूछा - केन्‍द्र व राज्‍य सरकारें बताएं प्रवासियों को लाने में क्यों हो रही है देरी
हाईकोर्ट ने पूछा - केन्‍द्र व राज्‍य सरकारें बताएं प्रवासियों को लाने में क्यों हो रही है देरी

नैनीताल, जेएनएन : हाई कोर्ट ने लॉकडाउन में देश के तमाम शहरों में फंसे उत्तराखंड के प्रवासियों की वापसी में देरी पर सोमवार को सख्त नाराजगी जताई। केंद्र व राज्य सरकार से पूछा कि प्रवासियों को लाने के लिए कितनी ट्रेनें और बसें चलाई जा रही हैं और कितने लोगों को अब तक राज्य में वापस लाया गया है। दोनों सरकारें बताएं कि प्रवासियों को लाने में क्यों देरी हो रही। अगली सुनवाई की तिथि कोर्ट ने 21 मई निर्धारित की।

सोमवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की खंडपीठ में वीडियो कांफ्रेंसिंग से धनोल्टी के विधायक व पूर्व मंत्री प्रीतम सिंह पंवार की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार केवल प्रवासी मजदूरों को ही वापस ला रही है जबकि लॉकडाउन के दौरान विभिन्न वर्गों के लोग फंसे हैं। इसमें बड़ी संख्या में विद्यार्थी भी शामिल हैं, लिहाजा सभी को वापस लाया जाए और किसी के साथ भेदभाव न किया जाए।

राज्य सरकार की ओर से सीएससी परेश त्रिपाठी व स्टेंडिंग काउंसिल अनिल बिष्टï ने कोर्ट को बताया कि अभी तक करीब 61 हजार प्रवासियों को वापस लाया गया है। इसपर कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि जल्द से जल्द प्रवासियों को लाने की व्यवस्था की जाए। करीब 2.20 लाख प्रवासियों ने राज्य में आने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है, लिहाजा प्रवासियों को लाने में सरकार तेजी लाए ताकि कोरोना के संक्रमण से लोगों को बचाया जा सके।

प्रधानों ने कहा-प्रवासियों को जिला व तहसील स्तर पर क्वारंटाइन करें, वरना सामूहिक इस्तीफा देंगे 

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