Nikhat Zareen कैसे बनी विश्व चैंपियन, हेड कोच भास्कर पांडे ने बताई पूरी कहानी

विश्व बाक्सिंग चैंपियनशीप में गोल्ड मेडल मेडल जीतने वाली निकहत जरीन को पिथौरागढ़ निवासी भास्कर पांडे ने कोच किया है। निकहत जरीन ने विश्व बाक्सिंग चैंपियनशीप के लिए खुद को कैसे तैयार किया इस बारे में उन्होंने विस्तार से बताया।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Mon, 23 May 2022 07:54 AM (IST) Updated:Mon, 23 May 2022 07:54 AM (IST)
Nikhat Zareen कैसे बनी विश्व चैंपियन, हेड कोच भास्कर पांडे ने बताई पूरी कहानी
निकहत जरीन को शारीरिक रूप से मजबूत बनाने में भाष्कर ने किया विशेष रूप से प्रश‍िक्षि‍त

दीप चंद्र बेलवाल, हल्द्वानी: विश्व बाक्सिंग चैंपियनशीप में गोल्ड मेडल मेडल जीतने के बाद बाक्सिंग खिलाड़ी निकहत जरीन देश-दुनिया में छा चुकी है। मगर बहुत कम लोग जानते ही हैं उसकी सफलता के पीछे एक नाम भास्कर चंद्र पांडे का भी है। हिकहत के कोच रहकर भाष्कर ने छह माह में उसे शारीरिक रूप से फिट किया। टोक्यो ओलम्पिक में सेलेक्शन न होने पर जब निकहत का मनोबल टूट गया था। तब उसे आगे बढऩे का साहस देने वालों में भी भाष्कर भी शामिल रहे।

मूलरूप से ग्राम नकरोड़ा, तहसील डीडीहाट, पिथौरागढ़ निवासी भास्कर पांडे राष्ट्रीय प्राधिकरण शिविर के हेड कोच हैं। रविवार को दैनिक जागरण संवाददाता से हुई बातचीत में उन्होंने बताया कि निकहत जरीन के बेसिक कोच तेलंगाना के है, लेकिन दिसंबर 2021 से वही उसके हेड कोच हैं और पूरी टीम के साथ मिलकर निकहत के खेल में सुधार ला रहे हैं। निकहत 10 साल से उनकी टीम का हिस्सा है और लगातार संघर्ष करती है।

भास्कर ने बताया कि टेक्निकल रूप से वह मजबूत खिलाड़ी है। सात माह में उन्होंने निकहत के शारीरिक मजबूती पर विशेष फोकस किया। इसका उद्देश्य यह था कि वह अंत तक रिंग में न थके। फिजिकल रूप से फिट होने पर वह मानसिक रूप से भी मजबूत हो गई। उन्होंने बताया निकहत जरीन ने जीत का जो तोहफा दिया वह स्पोटर्स साइंस सेंटर की पूरी टीम की मेहनत का परिणाम है। 12 टीम कोच खिलाडिय़ों को बाक्सिंग खेल के हुनर सिखा रहे हैं। कैंप में देशभर की 48 खिलाड़ी बाक्सिंग के गुर सिख रहे हैं।

तब मैंने निहकत से कहा धैर्य रख

भास्कर चंद्र पांडे बताते हैं कि निकहत होनहार खिलाड़ी है। टोक्यो ओलंपिक के लिए उसने अच्छी तैयारी की। मगर ट्रायल में वह हार गईं थी। इसलिए उसका सेलेक्शन नहीं हो सका। निहकत को लगा था कि उसके साथ अन्याय हुआ है। मैंने उससे कहा धैर्य रख तू आगे तक जाएगी। इसके बाद उसने शानदार वापसी की और थाइलैंड की जिटपान्ग जुटामस को 5-0 से करारी शिकस्त देकर गोल्ड जीता।

पहाड़ के लिए धड़कता है दिल

भास्कर पांडे दिल्ली में रहकर देश के लिए बाक्सिंग टीम तैयार कर रहे हैं। उनकी सफलता का परिणाम है कि मैरीकाम व निकहत जैसी महिला बाक्सर देश को मिली हैं। भाष्कर बताते हैं कि दिल्ली में रहते हैं लेकिन दिन पहाड़ के लिए धड़कता है। हर साल वह पहाड़ जरूर आते हैं।

टीम के अच्छे प्रदर्शन से भाष्कर का प्रमोशन

टीम के अच्छे प्रदर्शन से भास्कर चंद्र पांडे के भी प्रमोशन होते रहे। उन्होंने बताया कि पहले बाक्सिंग खुद खेले। उत्तराखंड बनने पर लगातार कोच रहे। 15 साल से नेशनल यूथ सीनियर टीम के कोच रहे। तब टीम ने पोलेंड में सात गोल्ड जीते। इसके बाद उन्हें सीनियर बालिका टीम का हेड कोच का चार्ज मिला। हेड कोच बनने के बाद सैनजारिया में दो बालिकाओं ने दो गोल्ड जीते। अब निहकत जरीन ने गोल्ड व दो खिलाडिय़ों ने ब्रांज जीता है। पूरी दुनिया में भारत बाक्सिंग में तीसरी रैंक पर आ गया है।

निकहत जिटपॉन्ग जुटामस को हराकर बनी चैंपियन

निकहत ने बीते गुरुवार को इस्तांबुल में 52 किलोग्राम कैटेगरी में महिला वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप मेंं थाईलैंड की जिटपॉन्ग जुटामस (Jitpong Jutamas) को हराकार वल्र्ड चैंपियन का खिताब जीत लिया है।

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