दरवाजे के बाहर सिट्रोनेला के पौधे लगाकर पाएं मच्छरों से छुटकारा, डेंगू व मलेरिया से मिलेगी राहत
दो माह से महानगर डेंगू की गिरफ्त में है। मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ऐसे में लोग डेंगू से बचने के लिए तरह-तरह के उपाय करने में जुटे हैं।
हल्द्वानी, जेएनएन : दो माह से महानगर डेंगू की गिरफ्त में है। मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ऐसे में लोग डेंगू से बचने के लिए तरह-तरह के उपाय करने में जुटे हैं। अगर लोग दरवाजे के बाहर सिट्रोनेला के पौधे लगाते हैं तो मच्छरों से छुटकारा मिल सकता है। इस पौधे को घर की बागवानी में भी लगाया जा सकता है। सिट्रोनेला (जावा का पौधा) की गंध से मच्छर दूर भागते हैं।
सिट्रोनेला के पौधे से निकलता है तेल
जावा सिट्रोनेला अथवा सिट्रोनेला का वैज्ञानिक नाम सिंबोपोगन बिंटेरियनस है। यह पोयेसी कुल की एक बहुवर्षीय घास है, जिसके पत्तों से तेल निकाला जाता है। यह घास लेमनग्रास (नीबू घास) जैसी ही है। इसके घास मोटे तथा फैले होते हैं। इसकी पत्तियां जामरोज तथा लेमनग्रास की तुलना में अपेक्षाकृत ज्यादा चौड़ी होती हैं। स्लिप्स भी मोटी होती हैं।
लेमनग्रास के पौधे भी लाभदायक
लेमनग्रास साइट्रोनला प्रजाति की घास है। यह जहां लगा रहता है, वहां भी मच्छर नहीं टिक पाते हैं। इसका उपयोग खाद्य सामग्री के रूप में भी होता है, इसकी घास थोड़ी लंबी होती है। इसलिए इसे बडे कंटेनर वाले गमले में लगाना चाहिए।
एक पेड़ से दो फायदे
मदन बिष्ट, प्रभारी, वन अनुसंधान केंद्र, हल्द्वानी ने बताया कि डेंगू व मलेरिया जैसी गंभीर बीमारियों से निजात दिलाने के लिए सिट्रोनेला के पौधे काफी कारगर साबित होते हैं। इसे घरों में लगाने से स्वस्थ पर्यावरण तो मिलता ही है, बीमारियों से बचाव में भी काम आता हैं।