उद्यमियों ने कहा, अफसरों पर तय हो उद्योगों के बंद होने की जवाबदेही, राइट टू सर्विस लागू हो
वर्तमान समय में बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है। नौकरी की कमी के चलते यह संकट और भी गहरा गया है। ऐसे में स्वरोजगार का ही रास्ता नजर आता है।
हल्द्वानी, जेएनएन : वर्तमान समय में बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है। नौकरी की कमी के चलते यह संकट और भी गहरा गया है। ऐसे में स्वरोजगार का ही रास्ता नजर आता है, मगर सही नीति निर्धारण न होने, लगातार उद्योगों के बंद होने व योजनाओं का आमजन तक लाभ न पहुंच पाने से रोजगार ढूंढे नहीं मिल रहा। लगातार बंद हो रहे उद्योगों को लेकर हल्द्वानी शहर के बुद्धिजीवियों की राय है कि किसी भी उद्योग के बंद होने की जवाबदेही अफसरों पर तय की जाए। इसके लिए 'राइट टू सर्विस' की सबसे ज्यादा जरूरत है।
समय पर नीति बनाएं तो उद्योगोें में फिर आए जान
दैनिक जागरण की ओर से शनिवार को 'बेदम हुए उद्योग' थीम पर आधारित 'सफल उद्योग से बनता है सफल राज्य, क्यों पीछे रह गया हल्द्वानी' विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। रामपुर रोड स्थित दैनिक जागरण के कार्यालय में आयोजित परिचर्चा में अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े शहर के तमाम बुद्धिजीवियों को शामिल किया गया। दैनिक जागरण के महाप्रबंधक राघवेंद्र चड्ढा ने कहा कि हल्द्वानी समेत कुमाऊं भर में आज कई बड़े उद्योग बंदी की कगार पर हैं। यदि समय पर नीति बनाई जाए तो इन उद्योगों में फिर जान आ सकती है। उन्होंने कहा कि प्राप्त सुझावों को शासन तक पहुंचाया जाएगा। समाचार संपादक आशुतोष सिंह ने अतिथियों को कार्यक्रम के बारे में बताया। कहा कि जागरण ने उद्योगों को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से समाचारों की श्रृंखला शुरू की थी। संस्थान हमेशा से सरोकारी पत्रकारिता को ध्यान में रखकर लोगों के साथ कदम से कदम मिलाकर चला है।
प्रमुख सुझाव
बैंकों की तरह करें बदलाव का सामना
कार्यक्रम में बतौर अतिथि मौजूद रहे बैंकिंग क्षेत्र के बुद्धिजीवियों ने कहा कि उद्योगों को बैंकों की तरह हर तरह के बदलाव का सामना करना सीखना होगा। उदारीकरण के दौर में सरकारी बैंकों ने अपनी रीति-नीति में बदलाव लाकर खुद को साबित किया।
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