जंगल में घायल घूम रहे हाथी की तबीयत और खराब हुई, महावत को बुलाया गया nainital news
तराई पूर्वी वन प्रभाग के डॉली रेंज में घायल अवस्था में मिले हाथी की हालत खराब है। वन विभाग के कर्मचारी हाथी पर नजर रखे हैं। बुधवार को उसे पेन किलर देने का प्रयास भी असफल रहा।
लालकुआं, जेएनएन : तराई पूर्वी वन प्रभाग के डॉली रेंज में घायल अवस्था में मिले हाथी की हालत खराब है। वन विभाग के कर्मचारी हाथी पर नजर रखे हुए हैं। बुधवार को चिकित्सकों ने हाथी को गुड़ में एंटिबॉयोटिक व पेन कीलर मिलाकर दिया लेकिन देर शाम तक उसने खाया नहीं। हालांकि वन कर्मियों के अनुसार हाथी खाना नियमित खा रहा है। इधर, चिकित्सकों की राय पर रामनगर से महावत को लाया जा रहा है। महावत की मदद से हाथी के नजदीक जाकर वास्तविक स्थिति को देखने के साथ समुचित उपचार दिया जाएगा।
सोमवार को तराई केंद्रीय वन प्रभाग के टांडा रेंज में बीट वॉचर मंगू ने बीट संख्या 39 में 10 वर्षीय नर हाथी को जख्मी अवस्था में देखा। सूचना पर मंगलवार दोपहर बाद वन क्षेत्राधिकारी पंकज शर्मा के नेतृत्व में वन विभाग टीम पशु चिकित्सकों को लेकर मौके पर पहुंची। इस दौरान पशु चिकित्सक आयूष उनियाल ने हाथी का दूर से ही निरीक्षण किया। हाथी का एक पिछला पैर बुरी तरह जख्मी होने के साथ ही पूंछ भी कटी थी। बुधवार को वन विभाग की टीम हाथी के आसपास ही रही। गुड़ में मिलाकर दवा खिलाने का प्रयास भी असफल रहा। दरअसल, दवा या खाना उसके काफी नजदीक नहीं डाला जा सकता, क्योंकि इतने पास आने पर वह आक्रामक भी हो सकता है। ऐसे में जिस गुड़ की भेली में उसे एंटिबायोटिक और पेन किलर की खुराक दी जा थी, उस तक कदाचित हाथी की नजर नहीं पड़ी। अथवा यह भी हो सकता है कि अब वह स्थान विशेष से ज्यादा हिलढुल नहीं हो पा रहा हो।
रामनगर से महावत के आ जाने पर हाथी की वास्तविक स्थिति की जानकारी लेने का प्रयास किया गया। हालात पता चलने पर ही हाथी को समुचित उपचार दिया जा सकता है। वन क्षेत्राधिकारी पंकज शर्मा ने बताया कि बुधवार को हाथी ने खाना खाने के साथ ही मल भी किया। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि उसकी हालत स्थिर बनी हुई है।
हाथी के नजदीक जाने पर आक्रामक होने की आशंका
डॉ. अभिलाषा सिंह, डीएफओ तराई केंद्रीय वन प्रभाग ने बताया कि हाथी के नजदीक जाने पर आक्रामक होने की आशंका है। ऐसे में चिकित्सकों की राय पर रामनगर कॉर्बेट पार्क से महावत को बुलाया जा रहा है। इसके बाद ही वास्तविक स्थिति पता चलने पर उपचार किया जा सकता है।