ग्रहण की रात नजर आया हैलो का मनमोहक चांद, जानिए और भी बहुत कुछ

भले ही रविवार रात यहां चंद्रग्रहण का नजारा नजरों से ओझल रहा, लेकिन प्रकाश के घेरे में लिपटा चांद अलग ही रंग में नजर आया। मनमोहक आभा लिए यह नजारा लोगों के कौतुहल का विषय बना रहा।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Tue, 22 Jan 2019 05:18 PM (IST) Updated:Tue, 22 Jan 2019 07:41 PM (IST)
ग्रहण की रात नजर आया हैलो का मनमोहक चांद, जानिए और भी बहुत कुछ
ग्रहण की रात नजर आया हैलो का मनमोहक चांद, जानिए और भी बहुत कुछ

नैनीताल, जेएनएन : भले ही रविवार रात यहां चंद्रग्रहण का नजारा नजरों से ओझल रहा, लेकिन प्रकाश के घेरे में लिपटा चांद अलग ही रंग में नजर आया। मनमोहक आभा लिए यह नजारा लोगों के कौतुहल का विषय बना रहा। वैज्ञानिक इसे चंद्रमा का हैलो कहते हैं, जो आइस क्रिस्टल के कणों के कारण बनता है।

रविवार रात शुरू होते ही निखरा हुआ चांद अलग ही आभा लिए नजर आ रहा था। अभी रात का दूसरा पहर शुरू ही हुआ था कि वह प्रकाश के घेरे में लिपटना शुरू हो गया। यह प्रक्रिया कुछ समय तक जारी रहने के बाद प्रकाश का घेरा उसके चारों ओर छा गया और उसकी निखरी रंगत अलग ही नजर आने लगी। आर्यभटट् प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के वायुमंडलीय वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. नरेंद्र सिंह ने बताया कि यह प्रक्रिया आसमान में 20 हजार फिट की ऊंचाई में होती है, जबकि चांद हमसे करीब चार लाख किमी की दूरी पर मौजूद होता है। इसलिए यह आभाषीय घटना है। उंचाई पर बनने वाले अत्यधिक पतले सिरस बादलों के कारण होती है। वास्तव में यह बेहद पतले बर्फ के क्रिस्टल होते हैं। जिनके द्वारा चांद से आना वाला प्रकाश अपवर्तन व परावर्तन की प्रक्रियाओं से गुजरता है। आइस क्रिस्टल के कणों के बीच से चांद की रोशनी पास होती है तो आसमान में प्रकाश का घेरा बन जाता है। अत्यधिक ऊंचाई क्षेत्र में नमी अधिक होने के कारण इस तरह की प्रक्रिया होती है। वैज्ञानिक डॉ. उमेश दुम्का के अनुसार इसे चांद का हैलो कहते हैं। साल में इस तरह की प्रक्रिया कई बार होती है। इस तरह के हैलो चांद के अलावा सूर्य में भी बनते हैं। यह बारिश होने का संकेत भी है।

chat bot
आपका साथी