Earthquake in Uttarakhand : बारिश के बीच भूकंप के झटकों से कांपी उत्‍तराखंड की धरती

Earthquake in Pithoragarh उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में शुक्रवार को 3.6 रिक्टर स्केल पर भूकंप के झटके महसूस किए गए। हालांकि इस दौरान किसी प्रकार जनहानि नहीं हुई। भूकंप का केन्द्र बागेश्वर जिला बताया जा रहा है। जिले में बारिश के बीच आए झटके से लोगों में डर है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Fri, 19 Aug 2022 02:10 PM (IST) Updated:Fri, 19 Aug 2022 02:10 PM (IST)
Earthquake in Uttarakhand : बारिश के बीच भूकंप के झटकों से कांपी उत्‍तराखंड की धरती
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले की धरती शुक्रवार दोपहर भूकंप के झटकों से कांप उठी।

पिथौरागढ़, जागरण संवाददाता : Earthquake in Pithoragarh : उत्तराखंड के पिथौरागढ़ और बागेश्‍वर ज‍िले की धरती शुक्रवार दोपहर भूकंप के झटकों से कांप उठी। पिथौरागढ़ जिलेे के मुनस्यारी मदकोट क्षेत्र में 12 बजकर 57 मिनट पर भूकंप के झटके महसूस किए। स्थानीय लोगों के अनुसार झटका तेज था। क्षेत्र में हो रही वर्षा के बीच भूकंप से दहशत बनी है।

पिथौरागढ़ में आए भूकंप की तीव्रता रेक्टर पैमाने पर 3.6 मेग्नीट्यूट मापी गई है। भूकंप का केंद्र बागेश्वर जिले का बरीखालसा बताया जा रहा है। भूकंप की गहराई धरती के पांच किमी अंदर है। प्रशासन के अनुसार नुकसान की कोई सूचना नहीं है। भूकंप का केंद्र तेजम तहसील के समीप रामगंगा नदी पार बताया जा रहा है।

बागेश्वर में भी लगे भूकंप के झटके

आपदा और भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील बागेश्वर जिला एक बार फिर भूकंप के झटकों से हिल गया है। शुक्रवार अपराह्न 12.55 पर लोगों को भूकंप के झटके महसूस हुए। कुछ लोग अपने घरों से बाहर निकल आए और फोन से एक दूसरे की कुलशक्षेम पूछने लगे।

कुछ लोगों का इसका आभास तक नहीं हो पाया। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी शिखा सुयाल ने बताया कि रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 3.6 थी। जिसका केंद्र तेजम था। जिले में कहीं से भी कोई नुकसान की सूचना नहीं है।

11 मई को भी पिथौरागढ़ में आया था भूकंप

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में 11 मई को भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। तब बुधवार की सुबह 10.03 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 4.6 रही।जबकि गहराई 05 किमी रही। हालांकि तब नेपाल सीमा, जौलजीबी, धारचूला में लोगों को तेज झटके महसूस हुए थे।

भूकंप के लिहाज से संवेदनशील है उत्तराखंड

भूकंप के लिहाज से समूचा उत्तराखंड बेहद संवेदनशील है। कुमाऊं क्षेत्र में बड़ा भूकंप रामनगर में 1334 व 1505 में आ चुका है। तब से लेकर अब तक कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है, जबकि भूगर्भ में तनाव की स्थिति लगातार बनी है। ऐसे में कहा जा सकता है कि यहां कभी भी बड़ा भूकंप आ सकता है।

छोटे भूकंप बड़ी तबाही का संकेत

छोटे भूकंप इस बात का भी संकेत माने जाते हैं कि भूगर्भीय प्लेटों में तनाव की स्थिति है। 250 किलोमीटर भाग बना लॉक्ड जोन देहरादून से टनकपुर के बीच करीब 250 किलोमीटर क्षेत्रफल भूकंप का लॉक्ड जोन बन गया है। इस क्षेत्र की भूमि लगातार सिकुड़ती जा रही है और धरती के सिकुड़ने की यह दर सालाना 18 मिलीमीटर प्रति वर्ष है। यानी इस पूरे भूभाग में भूकंपीय ऊर्जा संचित हो रही है, लेकिन ऊर्जा बाहर नहीं निकल पा रही।

18 मिलीमीटर की दर से सिकुड़ रही है धरती

यह बात वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के साथ ही नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के अध्ययन में भी सामने आ चुकी है। अध्ययन में पता चला कि यह पूरा भूभाग 18 मिलीमीटर की दर से सिकुड़ रहा है। जबकि पूर्वी क्षेत्र में यह दर महज 14 मिलीमीटर प्रति वर्ष पाई गई। इस सिकुड़न से धरती के भीतर ऊर्जा का भंडार बन रहा है, जो कभी भी इस पूरे क्षेत्र में सात-आठ रिक्टर स्केल के भूकंप के रूप में सामने आ सकती है।

नेपाल में इसी कारण आया था बड़ा भूकंप

नेपाल में धरती के सिकुड़ने की दर इससे कुछ अधिक 21 मिलीमीटर प्रति वर्ष पाई गई। यही वजह है कि वर्ष 1934 में बेहद शक्तिशाली आठ रिक्टर स्केल का नेपाल-बिहार भूकंप आने के बाद वर्ष 2015 में भी 7.8 रिक्टर स्केल का बड़ा भूकंप आ चुका है।

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