काशीपुर का ड्रेनेज सिस्टम ध्वस्त, तीन साल से प्रस्ताव की फाइल देहरादून में घूम रही
विकास की रफ्तार बढ़ी तो काशीपुर को पालिका के बाद निगम का दर्जा मिल गया। शहर काे नियोजित तरीके से बसाने की याेजनाएं भी शुरू की गईं।ड्रेनेज सिस्टम को लेकर कोई प्लानिंग न हो सकी
काशीपुर, जेएनएन : विकास की रफ्तार बढ़ी तो काशीपुर को पालिका के बाद निगम का दर्जा मिल गया। इसके साथ शहर काे नियोजित तरीके से बसाने की याेजनाएं भी शुरू की गईं। लेकिन ड्रेनेज सिस्टम को लेकर कोई प्लानिंग न हो सकी। व्वस्थाओं में कोई सुधार नहीं हुआ । ड्रेनेज सिस्टम ठीक न होने के कारण पिछली बारिश में सड़कें पानी से लबालब थीं। लोगों के आशियाने तक डूब गए थे। तब हर कोई इसके लिए शासन-प्रशासन को जिम्मेदार ठहरा रहा था। जबकि इसके लिए सामूहिक तौर पर हर कोई जिम्मेदार है। जबकि पूरे शहर को प्लान के तहत सीवरेज से कवर किया गया था। लेकिन फिर एेसा ऐसा हुआ कि पूरा ड्रेनेज सिस्टम ध्वस्त हो गया। निगम क्षेत्र के ड्रेनेज सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए पिछले तीन साल से प्रस्ताव की फाइलें देहरादून में ही घूम रही हैं।
काशीपुर की आबादी करीब एक लाख 75 हजार के आसपास है। इससे पहले जब पालिका थी यानी सन् 1975 तब एक प्लान तैयार किया गया था। जिसके तहत बारिश के बाद जल निकासी के लिए रास्ता खोजा गया। योजना के तहत सीवरेज प्लान को धरातल पर उतारा गया। तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी का इसमे काफी सहयोग रहा। कई मोहल्लाें से लेकर मेन बाजार और शहर को कवर किया गया। सभी जगह सीवरेज सिस्टम की प्रक्रिया हुई। तब लोगों को इसका लाभ भी हुआ। बारिश का पानी माइनर गंज से होकर ढेला नदी में पहुंच जाता था।
2004 में भी सीवरेज सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए प्लान बनाया गया, लेकिन फिर बताते हैं कोर्ट का कोई तकनीकी पेंच फंस गया। शहर के कई इलाकों से सीवरेज के तार टूट गए और इनकी हालत जर्जर हो गई। जल भराव तभी से शुरू हुआ और आज शहर का हाल किसी से छिपा नहीं। बारिश का पानी शहर में संक्रामक बीमारियों का कारण बन रहा है। अपेक्षा की गई थी कि निगम बनने के बाद ड्रेनेज सिस्टम दुरुस्त होगा, लेकिन सिर्फ वादे ही रह गए इरादे बनकर धरातल पर नहीं उतर सके।
अब हल्की बारिश में बहता शहर
शहर के हालात आज किसी से छिपे नहीं हैं। दो दिन अगर लगातार बारिश हो जाए तो जल निकासी के लिए कोई जगह नहीं है। घुटनों तक पानी और लबालब कीचड़ से भरी सड़कें इसकी गवाही देती हैं कि अब बुरे दिनों की शुरुआत हो चुकी है। अामतौर पर इसकी शुरुआत तभी हो गई थी जब सीवरेज सिस्टम की योजना राजनीति का अखाड़ा बन गई। कई दलों ने इसको लेकर प्रदर्शन और ज्ञापन का सिलसिला चलाया, लेकिन कुछ भी नहीं हो सका।
अमृत योजना का इंतजार
अमृत योजना से जुड़े काशीपुर में ड्रेनेज सिस्टम को बेहतर बनाने का प्रस्ताव बनाया गया है, लेकिन काशीपुर के लिए अभी इस मद में बजट जारी नहीं किया गया है। काशीपुर में निगम की तरफ से सीएम योजना में भी नाले और नालियों के निकासी के लिए प्रस्ताव भी पास होने के इंतजार में है। फिलाहाल काशीपुर में अनियोजित तरीके से हो रहे निर्माण और सरकारी योजनाओं की सुस्ती जलभराव से निपटने के अच्छे संकेत नहीं हैं।
सीवरेज सिस्टम फेल
-मेन बाजार-नया, पुराना
-सुभाषनगर
-टांडा उज्जैन
-जसपुरखुर्द
-बाजपुर रोड
-सुभाषनगर
-महुखेड़ागंज
-महेशपुरा
-रामनगर रोड
पर्यावरण मित्र में नहीं इजाफा
संविदा कर्मी - 146
नियमित कर्मचारी-185
क्या थे पहले संसाधन
-27 टैंपो
-दो डंपर
-एक जेसीबी
-एक पानी टैंकर
-ग्राउंड डस्टबिन मशीन
-10 ई-रिक्शा
क्या बढ़े संसाधन
-पांच पानी के टैंकर
-दो स्प्रे टैंकर
-13 हाइड्रोलिक टैंपो
-10 हैंड स्प्रे
-सात सफाई ठेले
प्रस्ताव के स्वीकृत होने के इंतजार में मेयर
मेयर ऊषा चौधरी ने कहा कि शहर के ड्रेनेज व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया गया है, स्वीकृति मिलने का इंतजार किया जा रहा है। नए वार्ड से लेकर बाजार तक के नाले और नालियों के निकासी का प्रबंध किया जाएगा।