डोली से अस्‍पताल ले जा रहे मरीज की रास्‍ते में मौत, सड़क न होने से समय पर नहीं पहुंच सके अस्‍पताल

तबियत बिगडऩे पर ग्रामीण उसे डोली से तीन किमी दूर स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाने के लिए दौड़े। मगर सर्पीले रास्ते पर वक्त ज्यादा लगने के कारण करीब एक किमी दूर ग्रामीण ने दम तोड़ दिया।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Sat, 29 Aug 2020 08:00 PM (IST) Updated:Sat, 29 Aug 2020 09:46 PM (IST)
डोली से अस्‍पताल ले जा रहे मरीज की रास्‍ते में मौत, सड़क न होने से समय पर नहीं पहुंच सके अस्‍पताल
डोली से अस्‍पताल ले जा रहे मरीज की रास्‍ते में मौत, सड़क न होने से समय पर नहीं पहुंच सके अस्‍पताल

मानिला (अल्मोड़ा) , जेएनएन: सड़क के अभाव में ग्रामीण बेमौत मारा गया। अचानक तबियत बिगडऩे पर ग्रामीण उसे डोली से तीन किमी दूर स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाने के लिए दौड़े। मगर सर्पीले रास्ते पर वक्त ज्यादा लगने के कारण करीब एक किमी दूर ग्रामीण ने दम तोड़ दिया। उसकी मौत ने एक बार फिर व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए। वहीं ग्रामीण विकास के दावों को भी झुठला कर रख दिया। बुनियादी सुविधाओं के लिए जूझ रहे ग्रामीण तंत्र को कोसते रहे। 

ग्राम सभा मुसोली के कपसोड़ी तोक (सल्ट ब्लॉक) निवासी खीम सिंह का पुत्र बालम सिंह (35) दो दिन पूर्व अपनी ननिहाल तोलबुधानी गांव आया था। शनिवार दोपहर वह अपनी बड़ी बहन मीना देवी व भांजे के साथ घर लौटने लगा। तभी उसे सांस लेने तकलीफ हुई। बहन ने ग्रामीणों को आवाज लगाई। युवक के मामा मोहन सिंह व अन्य ग्रामीणों ने डोली की व्यवस्था की। ताकि किसी तरह गांव से तीन किमी दूर रतखाल बाजार स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक ले जाया जा सके। सरपंच देव सिंह मेहता, प्रकाश पांडेय, हिम्मत सिंह आदि बगैर थके डोली उठाकर आगे बढ़े लेकिन एक किमी का सफर तय होते ही युवक ने दम तोड़ दिया।

सड़क होती तो बच सकती थी जान 

तोलबुधानी गांव के बाशिंदे डेढ़ दशक से सड़क की मांग करते आ रहे। वर्ष 2014 में कांग्रेस सरकार ने रतखाल तक शहीद हरिसिंह मोटरमार्ग की घोषणा व मौजूदा त्रिवेंद्र सरकार में शासनादेश भी हुआ। मगर सड़क के लिए वन भूमि का पेंच दूर नहीं किया जा सका। सरपंच देव सिंह ने इसे जनप्रतिनिधियों की इच्छाशक्ति का अभाव करार दिया। 

बोली ग्राम प्रधान

'शहीद हरिसिंह रोड की मांग बहुत पुरानी है। कुछ दिन पूर्व वन विभाग व लोनिवि के अधिकारियों को दोबारा प्रस्ताव दिया है। सड़क न होने से ऐसे जान से हाथ धोना पड़ रहा।  -दीपा देवी, ग्राम प्रधान तोलबुधानी

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