छत्तीसगढ़ में तैनात सीआरपीएफ के जवान का निधन, सरयू-गोमती संगम पर हुआ अंतिम संस्कार

सीआरपीएफ में तैनात एक जवान की सड़क दुर्घटना में दर्दनाक मौत हो गई है। वह छत्तीसगढ़ में तैनात थे। उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए उनके गांव लाया गया। सरयू-गोमती संगम पर जवान को स्वजनों और ग्रामीणों ने नम आंखों के साथ अंतिम विदाई दी।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 29 Sep 2022 02:18 PM (IST) Updated:Thu, 29 Sep 2022 02:18 PM (IST)
छत्तीसगढ़ में तैनात सीआरपीएफ के जवान का निधन, सरयू-गोमती संगम पर हुआ अंतिम संस्कार
डुंगर गांव निवासी 45 वर्षीय देवेंद्र सिंह परिहार पुत्र स्व. गुसाई सिंह परिहार सीआरपीएफ में छत्तीसगढ़ में तैनात थे।

बागेश्वर, जागरण संवाददाता : सीआरपीएफ में तैनात एक जवान की सड़क दुर्घटना में दर्दनाक मौत हो गई है। वह छत्तीसगढ़ में तैनात थे। उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए उनके गांव लाया गया। सरयू-गोमती संगम पर जवान को स्वजनों और ग्रामीणों ने नम आंखों के साथ अंतिम विदाई दी। पुलिस की टुकड़ी ने शोक में शस्त्र उल्टे किए और श्रद्धांजलि दी।

डुंगर गांव निवासी 45 वर्षीय देवेंद्र सिंह परिहार पुत्र स्व. गुसाई सिंह परिहार सीआरपीएफ में छत्तीसगढ़ में तैनात थे। वह बीते पाांच सितंबर को अवकाश पर घर आए थे। 22 सितंबर को यहां से ड्यूटी पर चले गए थे। रास्ते में छत्तीसगढ़ में वाहन से उतरे। किसी अज्ञात वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी। जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गए।

उन्हें स्थानीय अस्पताल में भर्ती किया गया। जहां उपचार की दौरान उनका निधन हो गया। उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शनों के लिए उनके गांव लाया गया। घटना के बाद स्वजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। सरयू-गोमती संगम पर कोतवाल कैलाश नेगी के नेतृत्व में जवानों ने उन्हें सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी। उनके निधन पर कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास, पूर्व विधायक ललित फर्स्वाण, नगर पालिकाध्यक्ष सुरेश खेतवाल आदि ने गहरा दुख जताया है।

बेटियों के सिर से उठा पिता का साया

चचेरे भाई दिनेश परिहार ने कहा कि जवान की चार बेटियां हैं। सबसे बड़ी बेटी 17 वर्ष की है। वह 12 वीं में पढ़ रही है। ममता 14 वर्ष की है और दसवीं में है। उमा 11 वर्ष की है और छह में है। जबकि चार वर्ष की भूमिका आंगनबाड़ी में पढ़ती है। पत्नी हंसी देवी और माता बसंती देवी घर का काम करते हैं। देवेंद्र अपने परिवार का एकमात्र कमाऊ था। उसके पिता सीआरपीएफ में थे। उनके निधन के बाद उसे उनके स्थान पर नौकरी मिली थी।

chat bot
आपका साथी