हाई कोर्ट के फैसले से सीएम को मिला सियासी टॉनिक
विधान सभा सत्र शुरू होने के दिन ही ढैंचा बीज घोटाला मामले की पीआइएल रिजेटक्ट होने से सरकार को मिली राहत।
जागरण संवाददाता, नैनीताल : विधान सभा सत्र शुरू होने के दिन ही ढैंचा बीज घोटाला मामले की जांच को लेकर दायर जनहित याचिका हाई कोर्ट से खारिज होने से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को पॉलिटिकल टॉनिक मिल गया है। जनहित याचिका खारिज होने से सीएम की सियासी घेराबंदी को तैयार विरोधियों की साजिश फिलहाल नाकाम हो गई। अब सत्ता पक्ष के लोग जहां भ्रष्टाचार पर खुलकर अपनी बात रख सकेंगे वहीं, वहीं विपक्षा को अब सरकार को घेरने के लिए नए मुद्दों को तलाशना होगा। मामला एनएच मुआवजा घोटाले का हो, सीजन के दौरान खनन का सीएम सदैव ही भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस पर अपना रुख साफ रखा है। सियासी धुरंधरों को पछाड़ते हुए मुख्यमंत्री बने त्रिवेंद्र सिंह रावत की अब विपक्ष के साथ ही अपनों ने सियासी घेराबंदी तेज कर दी है। भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी मुहिम को देखते हुए विपक्ष में बैचेनी है तो अपनों की पेट में भी मरोड़ उठ रही है। बतौर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र अब तक पार्टी में गुटबाजी से दूर रहे हैं। यही वजह है कि प्रदेश भाजपा संगठन उनके साथ मजबूती से खड़ा है। जबकि निचले स्तर के कार्यकर्ताओं में अफसरशाही के हावी होने से सरकार को नाराजगी भी है। एनएच घोटाला मामले में पीसीएस अफसरों को जेल भेजने व दो आइएएस अफसरों को निलंबित करने की कार्रवाई कर मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त संदेश देने में सफल रहे हैं। अब ढैंचा बीज घोटाला मामले में दायर जनहित याचिका खारिज होने से मुख्यमंत्री को बड़ा पॉलिटिकल माइलेज मिला है। कोर्ट से मिले टॉनिक के बाद मुख्यमंत्री के सियासी तौर पर मजबूत हुए हैं।