उत्तराखण्ड चुनाव 2022 : तराई में इस बार मौसम भी लेगा वोटर और प्रत्याशी की परीक्षा

विधानसभा चुनाव 2022 की घोषणा हो चुकी है। पार्टियों के कार्यकर्ता व नेता अपनी अपनी दावेदारी पेश करने में दिन रात एक कर दिया है। एक तो कड़कड़ाती ठंड ऊपर से तराई में शीतलहर के बीच जैसै जैसे तापमान गिर रहा है वैसे वैसे सियासी पारा बढ़ता जा रहा है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Tue, 18 Jan 2022 08:44 AM (IST) Updated:Tue, 18 Jan 2022 08:44 AM (IST)
उत्तराखण्ड चुनाव 2022 : तराई में इस बार मौसम भी लेगा वोटर और प्रत्याशी की परीक्षा
उत्तराखण्ड चुनाव 2022 : इस बार ठंड मतदाता और प्रत्याशी दोनों के लिए एक और परीक्षा साबित होगी।

बृजेश पांडेय, रुद्रपुर : देरी से आई ठंडी की विदाई भी इस बार देर से होगी। मौसम विज्ञानियों के मुताबिक गलन और ठंड का ठहराव सामान्य वर्ष की अपेक्षा इस बार अधिक समय तक रहेगा। सामान्यतया जनवरी के अंतिम सप्ताह तक गलन और ठंड में कमी आ जाती है, लेकिन इस बार 14 फरवरी तक तापमान कम रहेगा। गलन भी बनी रहेगी। ऐसे में ठंड मतदाता और प्रत्याशी दोनों के लिए एक और परीक्षा साबित होगी।

विधानसभा चुनाव 2022 की घोषणा हो चुकी है। पार्टियों के कार्यकर्ता व नेता अपनी अपनी दावेदारी पेश करने में दिन रात एक कर दिया है। एक तो कड़कड़ाती ठंड ऊपर से तराई में शीतलहर के बीच जैसै जैसे तापमान गिर रहा है, वैसे वैसे सियासी पारा बढ़ता जा रहा है। ऊधम सिंह नगर के नौ विधानसभा में पिछले चुनाव में आठ सीटों पर बीजेपी की दावेदारी रही। इस बार कांग्रेस और भाजपा में कांटे की टक्कर रहेगी। कई लोग पाला भी बदल रहे हैं। ऐसे में हलचल तेज हो गई है।

वर्ष, 2017 में जनवरी अंतिम तक न्यूनतम तापमान में बढ़ोतरी हुई थी। ठंड सामान्य थी, वहीं इस बार मतदान के दौरान ठंड और शीतलहर रहेगी। मौसम विज्ञानियों के अनुसार 15 फरवरी तक कड़ाके की ठंड और पूरा फरवरी ठंड की चपेट में रहेगा। ऐसे में विधानसभा चुनाव और मतदान के बीच मतदाताओं और प्रत्याशियों के लिए दो हरी परीक्षा होगी। पंत विवि के मौसम विज्ञानी डा. आरके ङ्क्षसह ने बताया कि समुद्र का पानी ठंडा होने से हवा ठंडी हो जाती है, जिसके चलते यहां के तापमान पर प्रभाव पड़ेगा। न्यूनतम तापमान 10 के अंदर रहेगा।बताया कि सामान्यत: जनवरी के अंतिम सप्ताह तक ठंड की विदाई होनी शुरू हो जाती है, लेकिन इस बार ला नीना के चलते ठंड की अवधि 20 दिन से अधिक बढ़ेगी।

बताया कि अल नीनो और ला नीना शब्द का संदर्भ प्रशांत महासागर की समुद्री सतह के तापमान में होने वाले परिवर्तन से है। वैज्ञानिक भाषा में प्रशांत महासागर में भूमध्य रेखा से ऊपर 140 से 120 डिग्री के बीच के हिस्से को नीनो-3.4 रीजन कहा जाता है। जब इस क्षेत्र में समुद्री सतह का तापमान सामान्य से नीचे होता है तो इस स्थिति को ला-नीना कहते हैं। इससे दुनिया भर में मौसम पर प्रभाव पड़ता है। अल नीनो की वजह से तापमान गर्म हो जाता है और ला नीना की वजह से ठंडा। ला नीना की वजह से भारत में भारी ठंड और बारिश की संभावना बढ़ जाती है।

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