सरकारी नौकरी छोड़ने के बाद राजनीति में आए बसपा प्रत्याशी सुंदरलाल धौनी
केवल बसपा प्रत्याशी के रुप में ही एडवोकेट सुंदर लाल धौनी की पहचान नही हैं। उन्होंने बेरोजगार युवाओं को रोजगार दिलाने का संकल्प लेते हुए सरकारी नौकरी भी छोड़ दी।
बागेश्वर, वचंद्रशेखर द्विवेदी : केवल बसपा प्रत्याशी के रूप में ही एडवोकेट सुंदर लाल धौनी की पहचान नही हैं। उन्होंने बेरोजगार युवाओं को रोजगार दिलाने का संकल्प लेते हुए सरकारी नौकरी भी छोड़ दी। उनके इसी जच्बे से युवा बेरोजगारों का बड़ा तबका उनके साथ दिखाई देता हैं। सुंदर धौनी ने युवा बेरोजगारों के साथ लंबे समय तक संघर्ष किया। उनकी सक्रियता को देखते हुए प्रशिक्षित युवा बेरोजगारों ने उन्हें 2012 में बीपीएड प्रशिक्षित बेरोजगार संगठन का प्रदेश अध्यक्ष बनाया। बीपीएड बेरोजगारों की आवाज उन्होंने सड़क के लेकर विधानसभा सदन के बाहर तक उठाई। इस दौरान उन्होंने लाठी डंडे भी खाएं। और वह युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हुए। आंदोलन के बाद सरकार ने इंटर कालेजों में बीपीएड प्रशिक्षितों के लिए पद स्वीकृत किए। योग्यता के आधार पर 2014 में सुंदर धौनी का सेलेक्शन हुआ। उनको राजकीय इंटर कालेज काफलीगैर में सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्ति मिली। लेकिन उन्होंने सहायक अध्यापक के पद पर नौकरी नही की।
इसके बाद भी धौनी ने बीपीएड बेरोजगारों के लिए अपना संघर्ष जारी रखा। उनका कहना था कि प्राथमिक स्कूलों से ही व्यायाम शिक्षकों की नियुक्ति की जाए। अभी भी उनकी मांग जस की तस है। सुंदर धौनी ने कहा कि जब तक बीपीएड प्रशिक्षितों को प्राथमिक स्कूलों से ही नौकरी नही दी जाती तब तक वह भी किसी सरकारी पद पर नही बैठेंगे।
पार्टी के भरोसे पर खरा उतरने का प्रयास करूंगा
एडवोकेट सुंदर लाल धौनी, बसपा प्रत्याशी, अल्मोड़ा संसदीय सीट ने कहा कि पार्टी ने उन पर जो विश्वास दिखाया है उस पर खरा उतरने का प्रयास किया जाएगा। युवा शक्ति पर भरोसा है। इस संसदीय सीट से बसपा भारी मतों से जीतेगी।
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