Uttarakhand Election 2022 : भाजपा प्रत्याशी सरिता को जाति प्रमाण पत्र मामले मेें क्लीन चिट

नैनीताल के तहसीलदार नवाजिश खलीक ने सरिता के जाति प्रमाण पत्र मामले में शिकायत को निस्तारित कर दिया है। साथ ही सरिता को जारी जाति प्रमाणपत्र को सही करार दिया है। साफ किया है कि सरिता का जाति प्रमाण पत्र परवरिश के आधार पर जारी किया गया है।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Fri, 28 Jan 2022 09:44 PM (IST) Updated:Fri, 28 Jan 2022 09:44 PM (IST)
Uttarakhand Election 2022 : भाजपा प्रत्याशी सरिता को जाति प्रमाण पत्र मामले मेें क्लीन चिट
तहसीलदार ने बताया कि परवरिश के आधार पर सरिता को जारी जाति प्रमाण पत्र सही है।

जागरण संवाददाता, नैनीताल : नैनीताल आरक्षित सीट से भाजपा प्रत्याशी सरिता आर्य को नामांकन पत्र की जांच से पहले बड़ी राहत मिली है। नैनीताल के तहसीलदार नवाजिश खलीक ने सरिता के जाति प्रमाण पत्र मामले में शिकायत को निस्तारित कर दिया है। साथ ही सरिता को जारी जाति प्रमाणपत्र को सही करार दिया है। साफ किया है कि सरिता का जाति प्रमाण पत्र परवरिश के आधार पर जारी किया गया है।

सरिता के भाजपा प्रत्याशी घोषित होते की बागजाला हल्द्वानी निवासी हरीश चंद्र ने डीएम तथा एसडीएम नैनीताल को प्रत्यावेदन देकर सरिता के जाति प्रमाणपत्र को त्रुटिपूर्ण बताकर निरस्त करने की मांग की थी। इस मामले में आरओ प्रतीक जैन की ओर से तहसीलदार से जांच रिपोर्ट मांगी गई थी। तहसीलदार नवाजिश खलीक ने दोनों पक्षों से दस्तावेज मांगे थे। तहसीलदार ने बताया कि परवरिश के आधार पर सरिता को जारी जाति प्रमाण पत्र सही है। 

सुप्रीम कोर्ट का फैसला बना आधार

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस आफताब आलम व जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की खंडपीठ ने 18 जनवरी 2012 को रमेश भाई नायका बनाम गुजरात से संबंधित मामले में अहम आदेश पारित किया था। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष प्रश्न आया कि उस व्यक्ति की स्थिति क्या हेागी, जिसके माता-पिता में से एक अनुसूचित जाति-जनजाति से संबंधित और दूसरा उच्च जाति से संबंधित हो। गुजरात उच्च न्यायालय ने अपीलकर्ता के आदिवासी प्रमाण पत्र को इस आधार पर रद कर दिया कि उसके पिता एक गैर आदिवासी थे। जबकि कोर्ट ने इस तथ्य पर गौर नहीं किया कि अपीलकर्ता की मां निर्विवाद रूप से नायक थी, जो एससी जाति मेें आती थी। अपीलकर्ता की परवरिश नायक समुदाय के सदस्य के रूप में हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपीलकर्ता को जारी प्रमाण पत्र सही ठहराते हुए गुजरात हाई कोर्ट के आदेश को पलट दिया था। विधिक जानकारों के अनुसार इस फैसले से पहले तक जाति प्रमाण पत्र में पिता की जाति को ही आधार माना जाता था। प्रशासन ने जांच में पाया कि सरिता का जन्म अनुसूचित बाहुल्य भूमियाधार गांव में हुआ था। उसकी मां जीवंती देवी अनुसूचित जाति की महिला थी। मां ने ही सरिता का पालन पोषण किया।

यह थी शिकायतकर्ता की आपत्ति

=सरिता आर्य कुलदीप सिंह की बेटी हैं और कुलदीप सिख हैं, जो सामान्य जाति में आते हैं।  

=सरिता ने 12 जुलाई 1977 को जीबी पंत इंटर कॉलेज भवाली में 11वीं में प्रवेश लिया और पता सरिता आनंद, कुलदीप सिंह लिखाया और जाति का उल्लेख हिंदू सिख किया गया। 

सरिता का इस मामले में कहना है कि  मुझे जाति प्रमाण पत्र को लेकर विरोधियों ने प्रताडि़त किया। मां नैना देवी, गोलज्यू की कृपा, ईष्टï मित्रों, पितृों के आशीर्वाद से न्याय मिला। विरोधियों को अब जनता की अदालत से ही पटखनी मिलेगी।

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