'अपनों की खुशी के लिए, जहर का गम पीता रहा'

By Edited By: Publish:Thu, 18 Sep 2014 09:47 AM (IST) Updated:Thu, 18 Sep 2014 09:47 AM (IST)
'अपनों की खुशी के लिए, जहर का गम पीता रहा'

हल्द्वानी : काव्य रत्नम् साहित्य संस्था की ओर से बुधवार को पर्वतीय उत्थान मंच में कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। इसमें कवियों ने शानदार रचनाएं प्रस्तुत कर लोगों का मन मोह लिया।

कार्यक्रम का शुभारंभ बाल कवयित्री पावनी वाष्र्णेय ने 'बेटी तो होती घर की रौनक, होते इस पर अत्याचार हैं क्यों' सुनाकर की। प्रदीप यादव ने 'अपनों की खुशी के लिए, जहर का गम पीता रहा, मर चुकी थी आत्मा, लेकिन मैं जीता रहा' सुनाकर माहौल को शानदार बनाया। हास्य कवि राजकुमार भंडारी ने 'आलू, प्याज, टमाटर का है लोकतंत्र में रोल, जो कल तक फ‌र्स्ट क्लास थे आज हो गए गोल', वेदप्रकाश 'अंकुर' ने 'भारत में हिंदी का सम्मान नहीं होता, अंग्रेजी गाते हैं पर हिंदी का सम्मान नहीं होता' के जरिये हिंदी की दशा का वर्णन किया। गौरव त्रिपाठी 'सरल' ने 'मैं शहर का रहने वाला हूं, बेशक गांव में होगी हरियाली, मैं गंदगी और प्रदूषण सहने वाला हूं, मैं शहर' सुनाकर प्रकृति का चित्रण किया। संस्थाध्यक्ष अशोक वाष्र्णेय ने वर्तमान चुनाव परिणामों पर 'पंक्चर साइकिल पथ पर चल पड़ी, भरे सरोवर कमल गया मुरझाए, पंजे को लकवा ऐसा मारा, रह-रह मन को रहे समझाए' सुनाई। मुख्य अतिथि भुवन चंद्र जोशी व विशिष्ट अतिथि गुरमीत सिंह रहे। अध्यक्षता कैलाश चंद्र भट्ट ने की। इस दौरान विवेक शर्मा, एलएम पांडे, अशोक पंत, अनीता भट्ट, माधवी भट्ट, विमला देवी, लक्ष्मी मित्तल, प्रकाश मठपाल, भाष्कर जोशी, देवप्रकाश आदि मौजूद थे।

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