चीन सीमा से सटे पिथौरागढ़ के जौलजीबी से तवाघाट तक बनेगी आलवेदर सड़क
जौलजीबी से तवाघाट तक 33 किमी मार्ग आलवेदर बनने जा रहा है। जिसके लिए बीआरओ आगामी आठ मार्च को टेंडर लगाने जा रहा है। यह जानकारी भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता सुरेश जोशी ने राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से मिलने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए दी है।
टीम जागरण, पिथौरागढ़/धारचूला : चीन सीमा से लगे सीमांत क्षेत्र को एक और सौगात मिल रही है। जौलजीबी से तवाघाट तक 33 किमी मार्ग आलवेदर बनने जा रहा है। जिसके लिए बीआरओ आगामी आठ मार्च को टेंडर लगाने जा रहा है। भविष्य में लिपुलेख तक आलवेदर सड़क का निर्माण होना है।
यह जानकारी भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता सुरेश जोशी ने राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से मिलने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए दी है। उन्होंने बताया कि आठ मार्च को जौलजीबी से तवाघाट पुल तक तैंतीस किमी मार्ग के प्रथम फेज के लिए 482 करोड़ के टेंंडर लगने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह सीमा क्षेत्र के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। टनकपुर से पिथौरागढ़ तक ऑलवेदर सड़क बन चुकी है। पिथौरागढ़ से आगे बीआरओ सड़क को आलवेदर की तर्ज पर ही बना रहा है और अब जौलजीबी से तवाघाट तक आलवेदर सड़क के टेंंडर लगने जा रहे हैं।
जोशी ने बताया कि भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी एवं राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने कैलास मानसरोवर यात्रा निर्बाध गति से उत्त्तराखंड के लिपुलेख से ही कराने का विदेश मंत्री जयशंकर से अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि बलूनी का यह प्रयास अति सराहनीय है। अभी तक तो केवल प्रतिवर्ष 1100 के आसपास ही तीर्थ यात्री कैलास मानसरोवर जा पाते हैं। निर्बाध ढंग से यात्रा चलने पर अधिक श्रद्धालु कैलास मानसरोवर जा सकेंगे।
उन्होंने बताया कि बलूनी का प्रयास पंतनगर और नैनी सैनी पिथौरागढ़ हवाई पट्टी विस्तार कर पंतनगर से लिपुलेख तक आलवेदर सड़क का निर्माण कर यात्रा को बेहद सुगम तथा विराट स्वरू प देकर राज्य के पर्यटन आर्थिकी को सबल बनाने का प्रयास किया जा रहा है। जोशी ने बताया कि जल्द ही दिल्ली से पूर्णागिरी एक्सपे्रस चलने वाली है। बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री के सम्मुख पिथौरागढ़ से नेपाल सीमा को जोडऩे वाली झूलाघाट सड़क को भी डबल लाइन सड़क बनाने की मांग रखी गई है।
धारचूला में खुशी, अनिल बलूनी के प्रयास का स्वागत
राज्य सभा सांसद अनिल बलूनी के लिपुलेख धारचूला से ही निर्बाध ढंग से कैलास मानसरोवर यात्रा संचालन करने की विदेश मंत्री से मांग का धारचूलावासियों ने स्वागत करते हए आभार जताया है। लिपुलेख ही कैलास मानसरोवर यात्रा का पौराणिक मार्ग है। आदि काल से इसी मार्ग से यात्रा होती आई है। अब लिपुलेख तक सड़क बनने से यात्रा अति सुगम हो चुकी है। कैलास मानसरोवर नेपाल और सिक्किम के नाथुला दर्रे से ही श्रद्धालु जाते हैं। लिपुलेख से निर्बाध यात्रा होने पर श्रद्धालु इसी रास्ते से कैलास मानसरोवर जाएंगे, क्योंकि यह सबसे सुगम और सबसे छोटा मार्ग है।
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