साल भर में किशोर को बना दिया बालिग, राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग से की शिकायत

पुलिस ने एक किशोर को एक साल के ही भीतर बालिग और नाबालिग दोनों दिखा कर जेल भेज दिया। एक साल पहले जिस किशोर को 14 साल का मानते हुए जेल भेजा एक साल बाद उसी को 18 साल का मानते हुए दूसरे केस में जेल भेज दिया।

By Prashant MishraEdited By: Publish:Thu, 13 May 2021 11:26 AM (IST) Updated:Thu, 13 May 2021 11:26 AM (IST)
साल भर में किशोर को बना दिया बालिग, राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग से की शिकायत
राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग, राज्य बाल संरक्षण आयोग, डीजीपी सहित चार अधिकारियों को पत्र भेजकर मामले की शिकायत की है।

श्याम मिश्रा, काशीपुर : आइटीआइ थाना पुलिस का ऐसा कारनामा सामने आया है, जिसने थाना पुलिस को हंसी का पात्र बना दिया है। पुलिस ने एक किशोर को एक साल के ही भीतर बालिग और नाबालिग दोनों दिखा कर जेल भेज दिया। एक साल पहले जिस किशोर को 14 साल का मानते हुए जेल भेजा, एक साल बाद उसी को 18 साल का मानते हुए दूसरे केस में जेल भेज दिया।

सामाजिक कार्यकर्ता एडवोकेट संजीव कुमार आकाश ने राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग, राज्य बाल संरक्षण आयोग, डीजीपी सहित चार अधिकारियों को पत्र भेजकर मामले की शिकायत की है। स्कूल की टीसी को आधार बनाते हुए पुलिस पर किशोर का शारीरिक व मानसिक उत्पीडऩ करने का आरोप लगाते हुए न्याय की मांग की है। आकाश ने मामले को लेकर अध्यक्ष राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग, अध्यक्ष राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग, डीजीपी उत्तराखंड और डीएम ऊधमङ्क्षसह नगर को पत्र भेजा है। बताया कि आइटीआइ थाना पुलिस ने नगर की पशुपति बिहार कॉलोनी निवासी एक किशोर के खिलाफ साल 2020 में 207/2020 अपराध संख्या पर मुकदमा दर्ज किया।

किशोर की उम्र 14 साल मानते हुए वारंट लेकर  बाल सुधार गृह भेज दिया। किशोर जमानत पर छूट कर आया। वर्ष 2021 में 24 अप्रैल को थाना आइटीआइ में ही उसके खिलाफ अपराध संख्या 95/2021 पर दूसरा मुकदमा दर्ज हुआ। इस बार उसकी उम्र 18 साल से ज्यादा मानते हुए उसे बालिग घोषित कर दिया गया। वारंट लेकर हल्द्वानी उप कारागार भेज दिया। इस दौरान स्वजनों ने उसकी उम्र अभी किशोरवय होने की जानकारी दी पर विवेचक और थानाध्यक्ष ने एक न सुनी। अधिवक्ता ने बताया कि किशोर अपचारी को उप कारागार भेजना उसके बाल अधिकारों का क्रूरतापूर्वक हनन करना है। ऐसे में  किशोर न्याय अधिनियम 2016 का उद्देश्य ही समाप्त हो जाता है।

एसओ आइटीआइ विद्यादत्त जोशी ने बताया कि इस तरह का कोई मामला मुझे याद नहीं है। पुलिस के सामने जो तथ्य आते हैं, पुलिस उस पर कार्रवाई करती है। अगर पशुपति बिहार कॉलोनी निवासी आरोपित किशोर है तो अदालत में अर्जी देकर स्वयं को नाबालिग साबित कर सकता है।

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