आपदा में नैनीताल की नहरें क्षतिग्रस्त होने से 25 हजार हेक्टेयर खेती प्रभावित

बीते माह आई प्राकृतिक आपदा का क्षेत्र के काश्तकारों को दोहरा नुकसान झेलना पड़ रहा है। कई काश्तकारों की नदियों नालों के किनारे स्थित भूमि बह गई। अब काश्तकारों के सामने फसलों की सिंचाई का संकट गहरा गया है।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Wed, 01 Dec 2021 11:46 AM (IST) Updated:Wed, 01 Dec 2021 11:46 AM (IST)
आपदा में नैनीताल की नहरें क्षतिग्रस्त होने से 25 हजार हेक्टेयर खेती प्रभावित
आपदा में नैनीताल की नहरें क्षतिग्रस्त होने से 25 हजार हेक्टेयर खेती प्रभावित

जागरण संवाददाता, नैनीताल: बीते माह आई प्राकृतिक आपदा का क्षेत्र के काश्तकारों को दोहरा नुकसान झेलना पड़ रहा है। कई काश्तकारों की नदियों नालों के किनारे स्थित भूमि बह गई। अब काश्तकारों के सामने फसलों की सिंचाई का संकट गहरा गया है। आपदा में क्षतिग्रस्त 111 नहरों में से 38 अब भी क्षतिग्रस्त है। विभाग की ओर से करीब 24 करोड़ के नुकसान का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेज तो दिया गया है, मगर बजट मिलने के बाद भी नहरों को दुरुस्त करने में करीब एक वर्ष का समय लग जाएगा।

जिले के भीमताल, धारी, बेतालघाट, कोटाबाग, रामगढ़ विकासखंड सब्जी बेल्ट के रूप में भी पहचान रखते हैं। अधिकांश काश्तकार मौसमी सब्जी का उत्पादन करते हैं। बारिश कम होने के कारण शीतकाल में खासकर सब्जी की खेती सिंचाई पर ही निर्भर है। सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता केएस चौहान ने बताया कि जिले के छह विकासखंडों में 141 नहरें हैं। 111 नहरों को आपदा में नुकसान पहुंचा था। विभागीय प्रयासों से 73 नहरों को वैकल्पिक व्यवस्था कर सुचारू कर दिया गया है, अब भी 38 नहरें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हैं। जिससे क्षेत्र की करीब 25 हजार हेक्टेयर खेती प्रभावित होना तय है।

कई नहरों का नहीं है नामो निशान

अधिशासी अभियंता केएस चौहान ने बताया कि आपदा से सबसे अधिक नुकसान कोसी से लगी नहरों को पहुंचा है। आपदा के बाद कई स्थानों पर तो डेढ़ से दो किमी लंबी नहर का कोई नामो निशान नहीं है। जिस कारण स्थलीय निरीक्षण में भी परेशानी आ रही है। कहा कि नुकसान का आकलन कर करीब 24 करोड़ का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। यदि जल्द बजट मिलता भी है तो कई नहरों का कार्य पूरा करने में एक वर्ष का समय लगेगा।

बाजार पर भी पड़ेगा असर

काश्तकारों द्वारा क्षेत्र में उगाई जाने वाली सब्जी को अधिकांश स्थानीय बाजार अथवा मंडी में बेचा जाता है। जिस कारण सर्दियों में सब्जियों के दाम कम रहते हैं। इस वर्ष सिंचाई नहीं होने से खेती प्रभावित होगी और सब्जी उत्पादन कम रहेगा। जिसका सीधा असर बाजार पर भी देखने को मिलेगा। सस्ते दामों पर मिलने वाली पहाड़ी सब्जी के लिए ग्राहकों को दोगुनी कीमत तक चुकानी पड़ेगी।

यह नहरें हैं क्षतिग्रस्त

अपर कोसी लेफ्ट, लोवर कोसी लेफ्ट, मल्लीसेठी, तल्लीसेठी, धारी, बिसगुली, बर्धो, कुनखेत, मझेड़ा, पाडली, ज्‍याली, अपरकोटा, देचौरी आदि।

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