श्रमिक स्पेशल का थमा कारवां, बेतिया भेजे गए 432 श्रमिक

श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का कारवां फिलहाल थम गया है। शनिवार को देहरादून से बेतिया (पश्चिम चंपारण) बिहार के लिए चलाई गई स्पेशल ट्रेन से हरिद्वार से 432 श्रमिक रवाना हुए।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 30 May 2020 07:46 PM (IST) Updated:Sat, 30 May 2020 07:46 PM (IST)
श्रमिक स्पेशल का थमा कारवां, बेतिया भेजे गए 432 श्रमिक
श्रमिक स्पेशल का थमा कारवां, बेतिया भेजे गए 432 श्रमिक

जागरण संवाददाता, हरिद्वार: श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का कारवां फिलहाल थम गया है। शनिवार को देहरादून से बेतिया (पश्चिम चंपारण) बिहार के लिए चलाई गई स्पेशल ट्रेन से हरिद्वार से 432 श्रमिक रवाना हुए। स्टेशन पर शारीरिक दूरी के मानकों का पालन कराते हुए यात्रियों को ट्रेन में बैठाया गया। उनसे किराया नहीं लिया गया। साथ ही प्रशासन की ओर से उन्हें भोजन का पैकेट भी दिया गया।

11 मई को पहली श्रमिक स्पेशल पुणे से हरिद्वार पहुंची थी। इसके बाद लगातार श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के आने और जाने का क्रम लगा रहा। दूसरे राज्यों में फंसे उत्तराखंड के प्रवासियों को लेकर आखिरी ट्रेन 27 मई को चेन्नई से पहुंची। वहीं उत्तराखंड में फंसे बंगाल, बिहार और उप्र के प्रवासियों को लेकर आखिरी ट्रेन शनिवार दोपहर करीब तीन बजे रवाना हुई। देहरादून से बेतिया के लिए चलाई गई स्पेशल ट्रेन से हरिद्वार से 432 श्रमिक रवाना हुए। इसके बाद पिछले काफी समय से प्रवासियों को घर भिजवाने की व्यवस्थाओं में जुटे रेलवे, पुलिस प्रशासन के अधिकारियों के साथ ही रेडक्रॉस आदि के स्वयंसेवियों ने राहत की सांस ली है। इस दौरान एडीएम केके मिश्रा, एसीएमओ डॉ. एचडी शाक्य, जीआरपी एएसपी मनोज कत्याल, आरपीएफ इंस्पेक्टर प्रदीप कुमार, इंडियन रेडक्रॉस सोसायटी के सचिव डॉ. नरेश चौधरी आदि मौजूद रहे।

बच्ची की जिद के आगे झुका प्रशासन

श्रमिकों को घर भिजवाने के इंतजामों में जुटे पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी उस समय पसोपेश में पड़ गए जब दो परिवार साइकिल समेत स्टेशन पर पहुंच गए। इन परिवारों ने बताया कि वह पिछले काफी समय से घर जाने की जुगत में थे, लेकिन कोई इंतजाम नहीं हो पा रहा था। ऐसे में उन्होंने साइकिल से ही घर पहुंचने की ठानी। इसके लिए दोनों परिवारों ने एक-एक साइकिल खरीदी। फिर जब उन्हें शनिवार को बिहार के लिए आखिरी ट्रेन जाने की जानकारी हुई वह साइकिल समेत स्टेशन पर पहुंच गए। एक परिवार के साथ नौ साल की बच्ची भी थी, जिसने साइकिल ले जाने की अनुमति न देने पर ट्रेन में चढ़ने से ही इन्कार कर दिया। मासूम बच्ची की जिद के आगे पुलिस प्रशासन को झुकना पड़ा। साइकिल ले जाने की अनुमति मिलने पर खुशी-खुशी माता-पिता के साथ बच्ची ट्रेन में सवार हुई।

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