मातृ सदन में 23 फरवरी से शुरू होगी तपस्या: स्वामी शिवानंद

मातृ सदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद ने स्वामी सानंद की मांगों को क्रियान्वित कराने के लिए 23 फरवरी से तपस्या शुरू करने की घोषणा की है। मातृ सदन में रविवार दोपहर आयोजित पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि तपस्या कौन करेगा इसकी घोषणा बाद में की जाएगी।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Sun, 14 Feb 2021 02:35 PM (IST) Updated:Sun, 14 Feb 2021 10:18 PM (IST)
मातृ सदन में 23 फरवरी से शुरू होगी तपस्या: स्वामी शिवानंद
मातृसदन परमाध्यक्ष ने किया फिर से तपस्या शुरू करने का एलान।

जागरण संवाददाता, हरिद्वार: मातृ सदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद ने स्वामी सानंद की मांगों को क्रियान्वित कराने के लिए 23 फरवरी से तपस्या शुरू करने की घोषणा की है। मातृ सदन में रविवार दोपहर आयोजित पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि तपस्या कौन करेगा, इसकी घोषणा बाद में की जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रोफेसर ज्ञानस्वरूप सानंद की मांगें मान ली जाती तो आज चमोली त्रासदी नहीं होती।

उन्होंने इस मामले की एसआइटी जांच के साथ दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। परमाध्यक्ष ने कहा कि प्रोफेसर सानंद ने चार मांगों मंदाकिनी, अलकनंदा, भागीरथी और उनकी सहायक नदियों पर बनने वाले सभी प्रस्तावित और निर्माणाधीन बांध को निरस्त करने, रायवाला से रायघटी तक खनन बंदी का नोटिफिकेशन जारी करने, गंगा से 5 किलोमीटर दूर स्टोन क्रशर को बंद करने के अलावा गंगा भक्त परिषद और गंगा एक्ट बनाने की मांग को लेकर तपस्या की थी और अपने प्राण त्याग दिए थे। उनकी मांगों को क्रियान्वित कराने के लिए ही दोबारा तपस्या शुरू की जा रही है। बताया कि इन मांगों को लेकर पूर्व में स्वामी सानंद के अलावा उन्होंने और साध्वी पद्मावती ने भी तपस्या की। जिस पर 25 सितंबर 2020 को नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा एनएमसीजी के डायरेक्टर राजीव रंजन मिश्र ने जल्द नोटिफिकेशन जारी कराने का लिखित आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक नोटिफिकेशन जारी न होना सरकार की नीयत पर सवाल खड़े करता है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद में दोफाड़ को लेकर पूछे सवाल के जवाब में मातृसदन के परमाध्यक्ष ने आरोप लगाया कि संन्यासी और बैरागी अखाड़े दोनों स्वार्थ में लिप्त हैं। आरोप लगाया कि संन्यासी हो या बैरागी इनका कुंभ मेला और स्नान से कोई संबंध नहीं है। अखाड़ों को शासन से मिलने वाले धन को लेकर टकराव है। कुंभ को लेकर जारी एसओपी पर सवालिया निशान लगाते कहा कि जब कुंभ में आमजन की सुगम आवाजाही नहीं होती तो फिर कुंभ के दिव्य और भव्य होने पर संशय है।

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