विसंगति दूर करने को समाधान देना व्यंग्यकार का दायित्व

अखिल भारतीय साहित्य परिषद उत्तराखंड के तत्वावधान में देवभूमि विचार श्रृंखला भाग-आठ का ऑनलाइन आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 06 Aug 2020 07:49 PM (IST) Updated:Thu, 06 Aug 2020 07:49 PM (IST)
विसंगति दूर करने को समाधान देना व्यंग्यकार का दायित्व
विसंगति दूर करने को समाधान देना व्यंग्यकार का दायित्व

जागरण संवाददाता, रुड़की: अखिल भारतीय साहित्य परिषद उत्तराखंड के तत्वावधान में देवभूमि विचार श्रृंखला भाग-आठ का ऑनलाइन आयोजन किया गया। इसमें वक्ताओं ने हास्य-व्यंग्य: साहित्यिक और सामाजिक विवेचन विषय पर विचार व्यक्त किए।

कार्यक्रम में अतिथि वक्ता के रूप में अखिल भारतीय साहित्य परिषद की राष्ट्रीय मंत्री और प्रसिद्ध हास्य-व्यंग्यकार डॉ. साधना बलवटे (भोपाल) उपस्थित रही। उन्होंने कहा कि व्यंग्यकार का दायित्व समाज की विसंगति को केवल प्रकाश में ही लाना नहीं है, बल्कि उसे दूर करने के लिए समाधान प्रस्तुत करना भी है। व्यंग्यकार कलम के नश्तर से समाज के अंदर की विसंगति को ठीक उसी प्रकार दूर करता है, जैसे शल्य चिकित्सक फोड़े का ऑपरेशन कर जख्म को ठीक करता है। कहा कि व्यंग्यकार अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज सुधारक की भूमिका का भी निर्वहन करता है। हास्य कविताओं का उद्देश्य पाठकों या श्रोताओं को केवल हंसाना मात्र नहीं होता, बल्कि रचना के माध्यम से कोई न कोई बड़ा संदेश देकर किसी सामाजिक विकृति को समाप्त करना होता है। प्रदेश महामंत्री (गढ़वाल) पृथ्वीधर काला ने बताया कि परिषद की उत्तराखंड प्रदेश इकाई प्रत्येक सप्ताह भिन्न-भिन्न साहित्यिक एवं समसामयिक विषयों पर विशेषज्ञों की ओर से व्याख्यान का आयोजन कर रही है। कार्यक्रम में अखिल भारतीय साहित्य परिषद के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अनिल शर्मा, प्रदेश उपाध्यक्ष सुनील पाठक, प्रदेश महामंत्री उत्तर प्रदेश पवन पुत्र बादल, प्रदेश महामंत्री गुजरात भरत ठाकोर, प्रदेश महामंत्री (कुमाऊं) जगदीश पंत कुमुद, डॉ. पुष्पलता जोशी, माधवशरण त्रिपाठी, अमरदीप सिंह, डॉ. केआर भट्ट, डॉ. दीपक शर्मा आदि ने प्रतिभाग किया।

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