चिता का विकृत रूप है अवसाद

चिता का विकृत रूप ही अवसाद है। अवसाद व्यक्ति के सोचने-समझने की शक्ति पर प्रहार करता है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 30 May 2020 08:21 PM (IST) Updated:Sun, 31 May 2020 06:12 AM (IST)
चिता का विकृत रूप है अवसाद
चिता का विकृत रूप है अवसाद

जागरण संवाददाता, हरिद्वार : चिता का विकृत रूप ही अवसाद है। अवसाद व्यक्ति के सोचने-समझने की शक्ति पर प्रहार करता है। व्यक्ति समाधान से जुड़े सभी रास्ते स्वयं ही बंद कर लेता है और अंत मे अज्ञानता की अंधेरी कोठरी में जा बैठता है। जहां व्यक्ति के पास अच्छी समझ पहुंचने के प्रयास समाप्त हो जाते हैं। इसके दुष्प्रभाव के कारण ही समाज में आत्म हत्याएं जैसी घटनाएं बढ़ती जा रही है।

गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के शारीरिक शिक्षा विशेषज्ञ और मनोवैज्ञानिक डॉ. शिव कुमार ने स्ट्रेस मैनेंजमेंट डयूरिग कोविड-19 विषय पर आयोजित एक वेबिनार में यह बात कही। कहा कि समाज में बढ़ते भौतिक आकर्षण के प्रभाव तथा उनकी प्राप्ति में विफल होने पर व्यक्ति अवसाद से ग्रसित हो जाता है। जिसके परिणाम स्वरूप व्यक्ति में अच्छी समझ कम होती जाती है और काल्पनिक समझ हावी हो जाती है। अर्थात यह अवसाद अच्छी समझ को दीमक की तरह खा जाता है। इसके समाधान के लिए उन्होंने पारिवारिक एवं सामाजिक जागरूकता फैलाने पर जोर दिया। वेबिनार में फिजिकल एजुकेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय सचिव डॉ. पीयूष जैन, कॉलेज प्रिसिपल डॉ. जगदीश यादव, आयोजन सचिव डॉ स्वतेंद्र सिंह सहित शारीरिक शिक्षा के छात्र व शिक्षक उपस्थित रहे।

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