..गंगा घाटों तक सिमटा स्वच्छता अभियान

जागरण संवाददाता, हरिद्वार: दो अक्टूबर को शुरू हुआ स्वच्छता अभियान गंगा के घाटों व मुख्य सड़कों तक सिम

By Edited By: Publish:Sun, 19 Oct 2014 04:41 PM (IST) Updated:Sun, 19 Oct 2014 04:41 PM (IST)
..गंगा घाटों तक सिमटा स्वच्छता अभियान

जागरण संवाददाता, हरिद्वार: दो अक्टूबर को शुरू हुआ स्वच्छता अभियान गंगा के घाटों व मुख्य सड़कों तक सिमट कर रह गया है। शहर और उप नगरों के गली-मोहल्ले अभी भी स्वच्छता अभियान की राह ताक रहे हैं। पॉश कॉलोनियां भी स्वच्छता अभियान को आईना दिखा रही हैं।

गंगा क्लोजर होने के बाद गंगा घाटों पर सफाई अभियान शुरु हुआ। शहर की मुख्य सड़कों पर भी स्वच्छता अभियान में नगर के मेयर समेत कई लोग दिखे। जिन घाटों पर गंगा क्लोजर के दिन सफाई अभियान चलाया गया था उन्हीं घाटों पर अभी भी सफाई अभियान चल रहा है। लेकिन, 18 दिन बाद अभी तक यह स्वच्छता अभियान शहर व उप नगर की गली-मोहल्लों व कालोनियों में नहीं पहुंच पाया है। यहां तक शहर की पॉश कॉलोनियां में पार्क व सड़कों पर लगे कूड़े के ढेर पहले की तरह ही लगे हुए हैं। पॉश कालोनियों में रहने वाले लोगों में स्वच्छता को लेकर वह जागरुकता नहीं आई है। जिसकी स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत अभियान शुरू होने पर की जानी चाहिए थी। शहर के बीच विवेक विहार, मॉडल कालोनी, गोविंदपुरी में अधिकांश लोग अभी भी कूड़े को कूड़ेदान या सफाई कर्मी को नहीं दे रहे हैं। बल्कि सीधे पास के ही पार्कों व खाली भूमि पर कूड़ा डाल रहे हैं। विकास कालोनी में लोगों ने एसएमजेएन कॉलेज के मैदान को ही कूड़ादान बना दिया है। योगी विहार का भी यही हाल है। यहां खाली मैदान व पार्क तो नहीं है पर, एक खाली प्लाट पर कूड़ा का ढेर काफी समय से लगा हुआ है। इससे बुरा हाल ज्वालापुर उप नगर की गलियों का है। यहां कुछ स्थान ऐसे हैं जहा वर्षो से कूड़ा उठा ही नहीं है। ऐसे में सहज ही समझा जा सकता है कि स्वच्छता अभियान कहां और कैसे चल रहा है। केवल शहर की मुख्य सड़क व गंगा घाटों पर फोटो खिचाकर या फिर सोशल साइट पर। नगर के मेयर मनोज गर्ग से इस मामले में पूछा गया तो मेयर ने कहा कि शहर में स्वच्छता को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। साथ मुख्य नगर अधिकारी को निर्देश दे दिया है कि गली-मोहल्लों में स्वच्छता अभियान शुरू करे। शायद पांच-छह दिन में गली मोहल्लों में सफाई अभियान शुरू हो जाएगा। अभी कुछ परेशानियां इस लिए आ रही है कि अधिकांश कर्मचारी व संसाधन गंगा घाटों की सफाई में ही लगे हैं।

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