हरिद्वार: ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद ने किया जल का त्याग, 23 फरवरी से हैं तपस्यारत

गंगा रक्षा समेत स्वामी सानंद की चार मांगों को क्रियान्वित कराने के लिए तपस्या कर रहे ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद ने जल का त्याग कर दिया है। इससे पहले वह केवल जल नींबू शहद और नमक ही ले रहे थे।

By Raksha PanthriEdited By: Publish:Mon, 08 Mar 2021 01:07 PM (IST) Updated:Mon, 08 Mar 2021 01:07 PM (IST)
हरिद्वार: ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद ने किया जल का त्याग, 23 फरवरी से हैं तपस्यारत
हरिद्वार: ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद ने किया जल का त्याग।

जागरण संवाददाता, हरिद्वार। गंगा रक्षा समेत स्वामी सानंद की चार मांगों को क्रियान्वित कराने के लिए तपस्या कर रहे ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद ने जल का त्याग कर दिया है। इससे पहले वह केवल जल, नींबू, शहद और नमक ले रहे थे। ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद गंगा और उसकी सहायक नदियों में सभी तरह के खनन बंद करने के साथ गंगा से 5 किलोमीटर दूर स्टोन क्रशर करने आदि मांगों को लेकर तपस्या कर रहे हैं।

ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद स्वामी सानंद की चार सूत्री मांगों के क्रियान्वयन के लिए हरिद्वार स्थित मातृसदन में पिछले 23 फरवरी से तपस्यारत हैं। अब सोमवार से उन्होंने जल का भी त्याग कर दिया। आत्मबोधानंद ने हाल ही में की गई पत्रकार वार्ता में बताया था कि मंदाकिनी, अलकनंदा, भागीरथी और उनकी सहायक नदियों पर बनने वाले सभी प्रस्तावित और निर्माणाधीन बांध को निरस्त करने, रायवाला से रायघाटी तक खनन बंदी का नोटिफिकेशन, गंगा से पांच किमी दूर स्टोन क्रशर को करने के अलावा गंगा भक्त परिषद बनाने की मांग को क्रियान्वित कराने के लिए वह आठ दिन से तपस्या पर हैं।

बावजूद इसके 25 फरवरी से खनन पट्टे खोल दिए गए। कोई वार्ता तक नहीं की गई, जबकि राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) और हाईकोर्ट की ओर से रायवाला से भोगपुर तक गंगा और उसकी सहायक नदियों में खनन पर रोक है। इसी दौरान उन्होंने कहा था कि इसके विरोध में वह आठ मार्च से जल भी त्याग देंगे।

यह भी पढ़ें- हेस्को के संस्थापक अनिल जोशी बोले, हिमालय के उत्पादों को राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाएंगे

Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें

chat bot
आपका साथी