तो इस सीजन भी आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को पड़ेगा ठिठुरना

जागरण संवाददाता, रुड़की: धीरे-धीरे ठंड का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। वहीं हर किसी ने ठंड से बचाव के लिए

By JagranEdited By: Publish:Tue, 12 Dec 2017 01:00 AM (IST) Updated:Tue, 12 Dec 2017 01:00 AM (IST)
तो इस सीजन भी आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को पड़ेगा ठिठुरना
तो इस सीजन भी आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को पड़ेगा ठिठुरना

जागरण संवाददाता, रुड़की: धीरे-धीरे ठंड का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। वहीं हर किसी ने ठंड से बचाव के लिए उपाय करने शुरू कर दिए हैं, लेकिन लगता है कि नौनिहालों को सर्दियों के इस सीजन में भी आंगनबाड़ी केंद्रों में ठिठुरना पड़ेगा। क्योंकि अधिकांश केंद्रों में बच्चों के बैठने के लिए उचित इंतजाम नहीं है।

बाल विकास विभाग की ओर से रुड़की ब्लॉक में तीन परियोजनाएं संचालित की जा रही हैं। इनमें ग्रामीण प्रथम व द्वितीय और शहरी परियोजना शामिल हैं। ग्रामीण प्रथम के तहत जहां 373 आंगनबाड़ी केंद्र चल रहे हैं वहीं, ग्रामीण द्वितीय में 200 केंद्र और शहरी परियोजना में 139 केंद्र संचालित किए जा रहे हैं। आलम यह है कि ब्लॉक में 85 फीसद से अधिक केंद्र किराये के भवनों में चल रहे हैं। ऐसे में केंद्रों के पास विभागीय भवन नहीं होने के कारण यहां आने वाले तीन से छह साल तक के नन्हें-मुन्नों के लिए बैठने, पेयजल और शौचालय तक की उचित व्यवस्था नहीं है। कुछ केंद्रों में प्लास्टिक की कुर्सियां हैं तो कहीं बच्चों को फटी-पुरानी दरियों में बैठाया जा रहा है। ऐसे में बच्चे सर्दी के मौसम में ठिठुरने को मजबूर हैं। सीडीपीओ जुलेखा के अनुसार, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को निर्देश दिए गए हैं कि ठंड के मौसम में बच्चों के बैठने के लिए उचित व्यवस्था की जाए। जिससे कि बच्चों को ठंड लगने से बचाया जा सके।

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इनसेट

सर्दी बढ़ने पर अभिभावकों की भी बढ़ जाती है चिंता

रुड़की: ब्लॉक में चल रहे अधिकांश आंगनबाड़ी केंद्रों में सर्दियों के मौसम में बच्चों के बैठने के लिए कोई विशेष इंतजाम नहीं किए जाते हैं। ऐसे में बच्चे केंद्रों पर कंपकंपाते हुए नजर आते हैं। जिस कारण सर्दी बढ़ते ही कई अभिभावक अपने बच्चों को केंद्रों में भेजना ही पसंद नहीं करते हैं। एक सुपरवाइजर ने बताया कि ठंड बढ़ने के साथ ही केंद्रों पर आने वाले बच्चों की संख्या में भी कमी आ जाती है।

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