Water Crisis in Uttarakhand: राजधानी Dehradun में गजब हाल, जल संस्थान से सटे एरिया में 10 साल से नहीं पहुंचा पानी

Water Crisis in Uttarakhand वर्ष 2014 में शिमला बाईपास रोड स्थित श्रद्धा एनक्लेव कालोनी बसी थी। इस समय यहां करीब 50 परिवार निवास कर रहे हैं और लगभग 10 मकान निर्माणधीन हैं। जल संस्थान एक तरफ शहर के सभी क्षेत्रों में पानी की निर्बाध आपूर्ति कराने का दावा करता है तो दूसरी तरफ पित्थूवाला जल संस्थान से सटे श्रद्धा एनक्लेव में 10 साल से पानी की पाइपलाइन तक नहीं बिछी।

By Jagran NewsEdited By: Nirmala Bohra Publish:Sat, 04 May 2024 07:40 AM (IST) Updated:Sat, 04 May 2024 07:40 AM (IST)
Water Crisis in Uttarakhand: राजधानी Dehradun में गजब हाल, जल संस्थान से सटे एरिया में 10 साल से नहीं पहुंचा पानी
Water Crisis in Uttarakhand: जल संस्थान से सटे श्रद्धा एंक्लेव में 10 साल से नहीं पहुंचा पानी

जागरण संवादादाता, देहरादून : Water Crisis in Uttarakhand: आज जब पूरे देश में 'हर घर नल से जल' योजना परवान चढ़ रही है ऐसे में राजधानी दून में 'दीया तले अंधेरा जैसी कहावत' चरितार्थ होती दिखाई दे रही है।

जल संस्थान एक तरफ शहर के सभी क्षेत्रों में पानी की निर्बाध आपूर्ति कराने का दावा करता है तो दूसरी तरफ पित्थूवाला जल संस्थान से सटे श्रद्धा एनक्लेव में 10 साल से पानी की पाइपलाइन तक नहीं बिछी।

हाल यह कि कालोनी में रहने वाले अधिकांश परिवार अपने-अपने घरों में बोरवेल करा कर काम चला रहे हैं। जल संस्थान ने पिछले साल यहां पाइप लाइन डालने का एस्टीमेट बनाया था लेकिन अब तक लाइन नहीं बिछ सकी।

निवास कर रहे करीब 50 परिवार

वर्ष 2014 में शिमला बाईपास रोड स्थित श्रद्धा एनक्लेव कालोनी बसी थी। इस समय यहां करीब 50 परिवार निवास कर रहे हैं और लगभग 10 मकान निर्माणधीन हैं। कालोनी के लोगों का आरोप है कि आज तक वहां पर पानी की पाइपलाइन नहीं पड़ी। जबकि कालोनी के लोगों ने कई बार जल संस्थान कार्यालय पहुंच कर पाइप डालने की मांग की। इसके अलावा सीएम पोर्टल में भी शिकायत दर्ज कराई।

जनवरी 2023 में सीएम पोर्टल की शिकायत का संज्ञान ले कर पित्थूवाला जल संस्थान ने कालोनी का सर्वे कराया और पाइपलाइन डालने के लिए 15.99 लाख रुपये का एस्टीमेट बनाया। लेकिन इसके बाद एस्टीमेट को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

जल संस्थान से उम्मीद समाप्त हो जाने पर अधिकतर लोगों ने वहां अपने-अपने घरों में बोरवेल करा लिए। लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर कुछ परिवार बोरवेल नहीं करा सके। ऐसे में वह परिवार अगल-बगल के लोगों से पानी मांग कर काम चला रहे हैं। इसके अलावा अक्सर निजी संस्थानों से पानी के टैंकर मंगा कर काम चलाते हैं।

बोरवोल कराने वाले परिवारों का कहना है कि बोरवेल के संचालन में बिजली की खपत अधिक होती है और बोरवेल से पानी लेना उनके लिए महंगा पड़ रहा है।

कालोनीवासियों का कहना है कि कई बार जल संस्थान के कार्यालय पहुंच कर पानी की लाइन डालने की गुहार लगाई लेकिन टाल-मटोली कर इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। खास बात है कि जल संस्थान के बगल में मौजूद इस कालोनी की अधिकारियों ने आज तक सुध नहीं ली।

जाम पड़ी है सीवर लाइन, तंत्र बेसुध

कालोनीवासियों ने बताया कि आठ साल पहले एडीबी (एशियन डेवलपमेंट बैंक) के तहत श्रद्धा एनक्लेव में सीवर लाइन डाली गई थी, लेकिन बाद में वह एंटी स्लोप हो गई। अब कालोनी से सीवर भी बाहर नहीं जाता।

लगभग हर माह कालोनीवासी टैंकर बुला कर अपने-अपने घरों का सीवर साफ कराते हैं। कालोनी में करीब 10 परिवारों का सीवर कनेक्शन है और सीवर के साथ-साथ उनका पानी का बिल भी जुड़कर आ रहा है। जबकि कालोनी में पानी की पाइपलाइन नहीं है।

बोले कालोनीवासी

कालोनी में सालों से पानी-सीवर की समस्या है। सीएम पोर्टल में शिकायत करने के बावजूद पानी की पाइपलाइन नहीं पड़ सकी। क्षेत्रवासियों की परेशानियों को लेकर न तो प्रशासन ध्यान दे रहा न ही जनप्रतिनिधि।

- रुपेश बालियान

आज सरकार हर घर नल से जल की बात कर रही है लेकिन पिछले दस वर्षों से हमारी कालोनी में पानी की पाइपलाइन तक नहीं बिछ पाई। लोग बोरवेल लगाकर काम चला रहे हैं। यह काफी महंगा पड़ता है।

- अनिल खोखर

10 साल से कालोनी में रह रहे हैं। लेकिन आज तक पानी की पाइपलाइन नहीं पड़ सकी। टैंकरों के माध्यम से पानी ले कर काम चला रहे हैं। प्रशासन को इस बारे में अवगत करा चुके हैं लेकिन सुध नहीं ली जा रही है।

- हेमंत चांदना

गर्मियों का सीजन शुरू होते ही उनकी पेयजल संबंधी परेशानी भी बढ़ जाती है। कालोनी विभाग की ओर से पानी की पाइपलाइन तक नहीं बिछाई गई है। बोरवेल चलाने में बिजली का खर्च अधिक आता है।

- सतविंदर कौर

क्या कहते हैं जिम्मेदार

पेयजल लाइन न बिछने का मामला उनके संज्ञान में आया है। लाइन बिछाने के लिए एस्टीमेट की स्थिति का जायजा ले रहे हैं। जल्द ही इसका समाधान किया जाएगा।

- राजीव सैनी, अधीक्षण अभियंता, जल संस्थान

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