हाथी की मौत पर वन विभाग ने बैठाई जांच, लोको पायलट और को-पायलट के खिलाफ मुकदमा

छह साल के हाथी की मौत के बाद वन विभाग और रेलवे के बीच तनातनी बढ़ गई है। वन विभाग ने रेलवे के लोको पायलट और को-पायलट के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के बाद जांच शुरू कर दी है।

By Edited By: Publish:Tue, 28 Jul 2020 07:25 PM (IST) Updated:Wed, 29 Jul 2020 04:02 PM (IST)
हाथी की मौत पर वन विभाग ने बैठाई जांच, लोको पायलट और को-पायलट के खिलाफ मुकदमा
हाथी की मौत पर वन विभाग ने बैठाई जांच, लोको पायलट और को-पायलट के खिलाफ मुकदमा

देहरादून, जेएनएन। रेलवे ट्रैक के पास हुई छह साल के हाथी की मौत के बाद वन विभाग और रेलवे के बीच तनातनी बढ़ गई है। जहां वन विभाग ने रेलवे के लोको पायलट और को-पायलट के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के बाद जांच शुरू कर दी है। वहीं, रेलवे हाथी के ट्रेन की चपेट में न आने की बात पर अड़ा हुआ है। बीते सोमवार सुबह करीब साढ़े पांच बजे नकरौंदा के गूलरघाटी क्षेत्र में हाथियों का झुंड रेल ट्रैक पार कर रहा था। तभी देहरादून से हरिद्वार की ओर जा रही दून-दिल्ली जनशताब्दी एक्सप्रेस आ गई। 

वन विभाग के मुताबिक, झुंड में शामिल एक हाथी ट्रेन की टक्कर लगने से ट्रैक के पास ही करीब 15 फीट गहरे गड्ढे में जा गिरा। जहा कुछ देर बाद उसकी मौत हो गई। देहरादून जू के चिकित्सक राकेश नौटियाल ने बताया कि हाथी की उम्र करीब छह वर्ष थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, ट्रेन की टक्कर और गड्ढे में गिरने से उसके शरीर के अंदरूनी हिस्सों में गहरी चोटें आईं। जबकि, रेलवे ने इस मामले में दो टूक कहा कि हाथी को ट्रेन से टक्कर नहीं लगी। इस खींचतान के बीच वन विभाग की ओर से ट्रेन के लोको पायलट व को-पायलट के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया गया। अब वन विभाग की ओर से मामले की जांच भी शुरू कर दी गई है। 
प्रभागीय वन अधिकारी राजीव धीमान ने बताया कि वन विभाग हादसे की गहनता से जांच करेगा। इस मामले में रेलवे के लोको पायलट से भी पूछताछ की जाएगी। वन विभाग के कार्मिकों को भी गश्त बढ़ाने और इस प्रकार के हादसों से बचने के लिए पुख्ता इंतजाम करने को कहा गया है। मंडल स्तर पर लिया जाएगा निर्णय दून-हरिद्वार रेलवे ट्रैक पर हाथी की मौत मामले में रेलवे अपनी बात पर अड़ा हुआ है। दून रेलवे स्टेशन के स्टेशन अधीक्षक एसडी डोभाल का कहना है कि हाथी ट्रेन से नहीं टकराया है। लोको पायलट ने ट्रैक पूरी तरह खाली बताया है। वन विभाग द्वारा दोनों लोको पायलट के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने पर उन्होंने कहा कि मुरादाबाद मंडल को घटनाक्रम से अवगत करा दिया है। इस पर जो भी निर्णय लिया जाएगा, वह मंडल स्तर से ही होगा। उन्होंने कहा कि अगर हाथी ट्रेन से टकराता तो उसके शरीर पर गंभीर चोट लगती, लेकिन हाथी के शरीर पर चोट के निशान भी नजर नहीं आए।
दोनों पक्षों के अपने-अपने तर्क हाथी की मौत को लेकर वन विभाग और रेलवे अपने-अपने तर्क दे रहे हैं। वन विभाग का कहना है कि ट्रेन से टकराकर ही हाथी गड्ढे में गिरा है। उनकी ओर से यह भी तर्क दिया जा रहा है कि हादसे के बाद घटनास्थल पर कुछ देर के लिए ट्रेन रोकी गई और लोको पायलट ने रेलवे के अधिकारियों को भी हादसे की जानकारी दी। जबकि, रेलवे के अधिकारी हादसे की जानकारी से साफ इनकार कर रहे हैं। उनका कहना है कि हाथी के शरीर पर ट्रेन से टकराने के कोई निशान नहीं हैं। साथ ही पूर्व में हुए हादसों में रेलवे ने स्वयं यह बात स्वीकारी थी कि ट्रेन से टकराकर हादसा हुआ है। इस बार ट्रेन का हादसे से कोई संबंध नहीं है।
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