उत्तराखंड जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन ने फूंका संघर्ष का बिगुल

उत्तराखंड जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन ने एक बार फिर संघर्ष का बिगुल बजा दिया है। मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव को भेजे पत्र में एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी पांच सूत्रीय मांगों पर जल्द कार्रवाई नहीं की गई तो आठ अक्टूबर को मशाल जलूस निकाला जाएगा।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Tue, 06 Oct 2020 11:36 AM (IST) Updated:Tue, 06 Oct 2020 11:36 AM (IST)
उत्तराखंड जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन ने फूंका संघर्ष का बिगुल
उत्तराखंड जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन ने एक बार फिर संघर्ष का बिगुल बजा दिया है। फाइल फोटो

देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन ने एक बार फिर संघर्ष का बिगुल बजा दिया है। मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव को भेजे पत्र में एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी पांच सूत्रीय मांगों पर जल्द कार्रवाई नहीं की गई तो आठ अक्टूबर को प्रत्येक जनपद मुख्यालय में शाम छह बजे से मशाल जलूस निकाला जाएगा। 14 अक्टूबर को दोपहर तीन बजे दोपहिया रैली निकाली जाएगी। एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक जोशी ने कहा कि 14 अक्टूबर तक सरकार की ओर से कोई निर्णय न लिए जाने की स्थिति में प्रांतीय कार्यकारिणी की ओर से सभी जनपदीय पदाधिकारियों के साथ बैठक की जाएगी। इसमें आंदोलन की रूपरेखा तैयार होगी।

प्रांतीय महासचिव वीरेंद्र सिंह गुसाईं ने बताया कि राज्य सरकार एवं अधिकारियों के साथ एसोसिएशन की तरफ से समय-समय पर अपनी मांगों के संदर्भ में वार्ता की गई, लेकिन अब तक कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं की गई। चार अगस्त व नौ सितंबर को सांकेतिक आंदोलन के बाद भी सरकार ने एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष के विरुद्ध की जा रही जांच की कार्रवाई को अब तक वापस नहीं लिया। इससे प्रदेश के सामान्य एवं ओबीसी वर्ग के अधिकारियों व कर्मचारियों में आक्रोश है। इस संबंध में बीते रविवार को सभी जनपदीय पदाधिकारियों के साथ एसोसिएशन की वेबिनार हुई, जिसमें सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि सरकार की कार्रवाई का विरोध किया जाए।

यह हैं एसोसिएशन की प्रमुख मांगें

एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष के विरुद्ध की जा रही कार्रवाई एवं जांच बिना शर्त तत्काल वापस ली जाए। उत्तर प्रदेश की तरह उत्तराखंड में पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था को समाप्त किया जाए व पदोन्नति में आरक्षण मुक्त व्यवस्था लागू हो। सीधी भर्ती के संशोधित रोस्टर के प्रथम पद को कार्मिक विभाग के शासनादेश 11 सितंबर 2019 के अनुरूप अनारक्षित श्रेणी के लिए यथावत रखा जाए। प्रदेश श्रमिकों के महंगाई भत्ता एवं प्रत्येक माह की जा रही एक दिन की वेतन की कटौती को तत्काल बहाल किया जाए।

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प्रदेश में चतुर्थ श्रेणी का पद मृत संवर्ग होने के कारण चतुर्थ श्रेणी के कार्मिकों को तृतीय श्रेणी में पदोन्नति के लिए निर्धारित 25 प्रतिशत पदोन्नति कोटे के अंतर्गत पर्याप्त अवसर मुहैया कराए जाएं। उत्तर प्रदेश के सभी विभागों में बहुतायत मात्र में रिक्त पदों को भरे जाने के उद्देश्य से चतुर्थ श्रेणी के कार्मिकों के लिए 4000 की-डिप्रेशन की अर्हता को एक बार के लिए शिथिल किया जाए।

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